भारतीय फिल्मों में ऑन-स्क्रीन लिग आधारित हिंसा की पहचान करने और इस तरह के दृश्यों पर फिल्मकारों को डिस्क्लेमर चलाने की सलाह देने का सरकार से आग्रह करते हुए एक अभियान चलाया जा रहा है, जिसे अबतक 50,000 से अधिक लोगों का समर्थन मिल चुका है।
सितंबर में, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बनी संस्था ब्रेकथ्रू ने एक याचिका तैयार की, जिसमें सूचना व प्रसारण मंत्रालय व केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से इन हिंसक दृश्यों की पहचान करने और उन्हें डिस्क्लेमर के साथ दिखाने का आग्रह किया गया है।
इस संगठन ने एक संगठनात्मक और संस्थागत मांग करते हुए एक खुला पत्र भी जारी किया है। यह सबकुछ (याचिका व खुला पत्र) क्रमश: चेंज डॉट ओरजी व आवरडेमोक्रेसी डॉट इन के सहयोग से किया गया।
ब्रेकथ्रू की अध्यक्ष और सीईओ सोहिनी भट्टाचार्य ने कहा, “मुझे खुशी है कि ऑन-स्क्रीन लिग आधारित अपराधों के लिए डिस्क्लेमर और चेतावनी पर हमारी याचिका को व्यापक तौर पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं।
हमें इस बात पर बिल्कुल यकीन है कि लोकप्रिय संस्कृति और समुदाय आधारित कार्यो के माध्यम से स्थायी व्यवहारिक परिवर्तन लाने के हमारे प्रयास लिंग आधारित हिंसा को खत्म करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”