ब्रिटेन की थेरेसा मे सरकार ने ब्रेक्सिट के बाद वीजा प्रणाली और आप्रवासी नीति का खुलासा कर दिया है। यह रणनीति भारतीय पेशवरों और छात्रों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी। नीतियों के मुताबिक यदि ब्रेक्सिट संभव होता है तो इस नीति को दिसम्बर 2021 से लागू किया जायेगा। यह यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के निष्कासन के बाद ही अमल में लाया जायेगा।
ब्रेक्सिट के बाद भारत व अन्य देशों के छात्रों और पेशेवरों को यूरोपीय संघ के अन्य 27 देशों के समान ही दर्जा दिया जायेगा। उनके लिए वीजा प्रणाली को सारा व सुगम कर दिया जायेगा। ब्रिटेन के गृह सचिव ने बुधवार को सदन के समक्ष वीजा से सम्बंधित प्रस्ताव रखा, जिसमे कार्य अनुमति पत्र के लिए 20700 की सीमा का अंत करने का प्रस्ताव है। ये भारत के आईटी पेशेवर और डॉक्टर्स के लिए उपयोगी साबित होगा।
सितम्बर 2018 में भारतीय पेशेवरों को 55 फीसदी वीजा दिए गए थे। ब्रेक्सिट के बाद यूरोपीय संघ के कर्मचारियों और कम कुशल कारीगरों का ब्रिटेन में कार्य करने का अधिकार समाप्त हो जायेगा। ब्रिटेन में यह सुविधा अभी सिर्फ यूरोपीय संघ के कारीगरों के लिए ही मान्य है।
ब्रिटेन के गृह सचिव ने कहा कि किसी देश को प्राथमिकता देने की बजाये अब हम कौशल के आधार पर वीजा मुहैया कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि आव्रजन नीति देश के लिए उपयोगी है और ये हमें मजबूती प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता भी प्रवासी थे और मैं समझ सकता हूँ, कि कैसे एक आप्रवासी देश की हित के लिए सहयोग कर सकता है।
गृह सचिव ने कहा कि यूरोपीय संघ के नागरिकों की ब्रिटेन में बेरोकटोक आने-जाने की सुविधा मार्च 2019 से समाप्त हो जाएगी, जब ब्रेक्सिट संभव हो जायेगा। उन्होंने कहा कि ब्रेक्सिट में कोई समझौता हो या नहीं, यह नीति ख़त्म होगी और अपने देश की सुरक्षा के लिए हम नई नीतियों पर कार्य करेंगे। ब्रिटेन योग्यता, कौशल के आधार पर कर्मचारियों को देश में आने की अनुमति देगा।
ब्रेक्सिट मार्च 2019 में संभव हो जायेगा, इस नई नीति से भारतीय पेशेवरों और छात्रों को अधिक फायदा होगा, क्योंकि देश पीएचडी के छात्रों को अध्य्यन के बाद 12 माह तक नौकरी के लिए ब्रिटेन में रहने की अनुमति देगा, जबकि स्नातक और परास्नातक के छत्रों को छह माह की समय सीमा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यूरोपीय कर्मचारियों के माफिक अन्य देशों के कुशल कारीगरों को भी उतनी ही तनख्वाह दी जाएगी।