ब्रिटेन ने विदेशी निवेशकों को यूके में प्रवास के लिए दिए जाने वाले वीजा प्रोग्राम पर रोक लगा दी है। ब्रिटेन में निवेशकों को यह वीजा अनुमानित 18 करोड़ की राशि पर दिया जाता था। ख़बरों के मुताबिक हवाला (मनी लौन्डरिंग) और नियोजित अपराधो पर नकेल कसने के लिए ब्रिटिश सरकार ने यह कार्रवाई की है।
वीजा कार्यक्रम की शुरुआत
ब्रिटेन में निवेशक वीजा कार्यक्रम की शुरुआत साल 2008 में हुई थी। सितम्बर 2018 तक 1000 टियर- 1 (निवेशक वीजा) दिए जा चुके हैं। इस वीजा पर अधिकतर चीनी या रुसी निवेशक ब्रिटेन में जाते हैं। हालांकि ब्रिटेन में इस वीजा का लाभ साल 2017 तक भारत के 76 करोड़पति और उन पर निर्भर व्यक्ति उठा चुके हैं।
ब्रिटेन में शुरूआती निवेश 10 लाख पौंड, 50 लाख पौंड या 1 करोड़ पौंड होना चाहिए, इससे ब्रिटेन में क्रमश 5, 3 और 2 साल की स्थायी निवास की अनुमति मिलती है। साथ ही नागरिकता भी दी जाती है।
वीजा प्रणाली पर सरकार का मत
अप्रवासी मंत्री कैरलाइन नोकेस ने कहा कि ब्रिटेन वैध और वास्तविक निवेशकों का अभी भी स्वागत करता हैं, जो ब्रिटिश अर्थव्यवस्था और बिज़नेस को उभारने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि बहरहाल, ब्रिटेन उन लोगों कोकाटे बर्दास्त नहीं करेगा जो नियमों की अनदेखी करें और ब्रिटिश प्रणाली का मखौल उड़ायें।
उन्होंने कहा कि इन्ही कारणों के चलते हम यह नए कानून को साझा कर रहे हैं ताकि देश में सिर्फ वास्तविक निवेशक ही आ सके। जो वाकई ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को उभारने की मंशा रखते हो अब उन्हें ही आप्रवासी प्रणाली से फायदा होगा।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ग्रुप ने पूर्व वीजा के माध्यम को हवाला कारोबार चलाने पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। एक रिपोर्ट ‘पैराडाइस लॉस्ट’ के मुताबिक सरकार के इस कदम से ब्रिटेन अब उन हवाल कारोबारियों का अड्डा नहीं बनेगा, जो निवेश के नाम पर यह भ्रष्टाचार फैलाते हैं और खुद ऐश ओ आराम की जिंदगी जीता हैं।
भारत के बैंकों से कर्ज लेकर फरार विजय माल्या भी अभी लन्दन में हैं। उसने भारत के अनुमानित 9 हज़ार करोड़ का कर्ज वापस लौटना है। ब्रिटेन वैश्विक अरबपतियों के लिए राजनीतिक स्थिरता, स्थिर फायदे और ऐतिहासिक जुड़ाव के कारण एक आकर्षित स्थान रहा है।