ब्रिटेन को अपने मुल्क में आतंक के बढ़ने का खौफ सता रहे हैं। डेली मेल के मुताबिक सरकार ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें खुलासा हुआ है कि प्रतिवर्ष 3000 ब्रितानी बच्चे पाकिस्तान के मदरसों में शिक्षा के लिए आवेदन करते हैं।
उग्रवाद के बढ़ने की आशंका
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, हर साल हज़ारो ब्रितानी बच्चे पकिस्तान के चरमपंथ स्कूलों में दाखिला लेते हैं। जहां उन्हें जिहाद का गौरवान्वित पाठ सिखाया जाता है। ब्रितानी अधिकारी को भय है कि इन चरमपंथियों स्कूलों में युवा उग्रवादी हो जायेंगे और विकृत विचारधारा के साथ वापस ब्रिटेन लौटेंगे, जो समाज में आतंक के खतरे को बढ़ा देगा।
डेली मेल के मुताबिक, 7 जुलाई, 2005 में लंदन में हुए बम विस्फोट की साजिशकर्ताओं में से दो की गिरफ़्तारी ने इस तथ्य को मज़बूत कर दिया था। इस बर्बर हमले से एक वर्ष पूर्व मोहम्मद सिद्दीकी और शहज़ाद तनवीर ने पाकिस्तान के मदरसे से शिक्षा ली थी। इस हमले में 52 बेकसूर लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
ब्रिटिश अखबार से एक सूत्र ने कहा कि “यह पाकिस्तान की शिक्षा होती है, थोड़े समय के लिए भी पाकिस्तान जाना, ब्रितानी-पाकिस्तानी बच्चों में चरमपंथ में वृद्धि का खतरा बना रहता है। मदरसों में दाखिला धार्मिक चरमपंथ के गंभीर रूपों के सामने आने का खतरा है।”
पाकिस्तान में जिहाद पढ़ते है ब्रितानी बच्चे
रिपोर्ट में पाकिस्तान के तीन मदरसों पर चिंता जाहिर की गयी है। इसमें खैबर पख्तूनवा क्षेत्र में दारुल उलूम हक़्क़ानिआ मदरसा, कराची में स्थित जामिया बिनोरिया और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित जमीअतुल उलूम उल इस्लामिआ है। इन तीनों मदरसों ने चरमपंथ में शामिल होने की बात को खारिज किया है।
डीयूएच मदरसे को ‘जिहाद की यूनिवर्सिटी’ का लेबल मिला हुआ है। अलकायदा का आतंकी असीम उमर इसका छात्र था और इस यूनिवर्सिटी ने आतंकवादी और पूर्व तालिबानी नेता मुल्ला ओमर को डॉक्ट्रेट की उपाधि से सम्म्मानित किया है। रिपोर्ट के मुताबिक ब्रितानी करदाता इन मदरसों को अप्रत्यक्ष रूप से फंड भी मुहैया करते हैं।
चरमपंथ से हमारा कोई नाता नहीं
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक मदरसे के प्रमुख मौलाना हामिद उल हक़ ने चरमपंथियों से नाते को नकारते हुए कहा कि “अगर आप तालिबान के बाबत सवाल पूछते हैं, छात्रों के लिए तालिबान शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, यानी सभी बच्चे तालिबान है। अगर कुछ बच्चे चरमपंथ और हिंसा का मार्ग अपनाते हैं, तो इसमें हम क्या कर सकते है। हमारे इससे कुछ लेना-देना नहीं है।”
अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग के प्रवक्ता ने इंकार किया कि ब्रितानी करदाताओं का पैसा मदरसों को दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “खैबर पख्तूनवा को धन तय उद्देश्य से दिया गया था। इसमें मदरसों के लिए अनुदान शामिल नहीं था।
जामिया बिनोरिया मदरसा ब्रिटेन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि इसमें जिहादी समर्थन और पश्चिमी देशों के खिलाफ शिक्षा दी जाती है और इसमें विदेशी छात्र भी हैं। बहरहाल, ब्रितानी अधिकारी ने बताया कि मौजूदा समय में किसी ब्रितानी छात्र में इसमें दाखिला नहीं लिया है।
ब्रिटेन के माता-पिता अपने छात्रों को सम्बन्धियों से मुलाकात के बहाने पाकिस्तान लेकर जाते हैं और वहां बच्चों को करीब 20000 मदरसों में दाखिला दिलाया जाता है।