ईरान ने रविवार को कहा कि “ब्रिटेन द्वारा ईरानी तेल टैंकर को जब्त करने को हम साल 2015 की परमाणु संधि का उल्लंघन मानते हैं।” इस संधि के शेष साझेदार वियेना में इस समझौते को बचाने की एक माजिद कोशिश के लिए मिले थे।ब्रितानी विभागों ने ईरान के तेल टैंकर को गिब्राल्टर से जुलाई के शुरुआत में जब्त किया था। यह जहाज ईयू के प्रतिबंधों का उल्लंघन कर सीरिया को तेल की आपूर्ति कर रहा था।
टैंकर जब्ती मामला
19 जुलाई को ईरान के रेवोलूश्नेरी गार्ड्स ने ब्रिटेन के ध्वज वाले जहाज को 23 क्रू सदस्यों सहित होर्मुज़ के बंदरगाह से गिरफ्तार कर लिया था। वियेना में मुलाकात में पहुचने पर ईरान के उपविदेश मंत्री अब्बास अराघची ने टैंकर मामलो को परमाणु संधि से जोड़ दिया था।
उन्होंने कहा कि “उन्नति हुई है, जैसे ईरानी तेल लादकर ले जाने वाले तेल टैंकर को गिब्राल्टर के बंदरगाह से जब्त किया गया था और हमारे नजरिये में यह परमाणु संधि का उल्लंघन है। इस संधि के साझेदार देशों को ईरान को तेल निर्यात करने में बाधा नहीं पंहुचानी चाहिए।”
वह ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन, रूस और ईरान के राजदूतो से ऑस्ट्रिया की राजधानी में मुलाकात कर रहे थे। तेहरान और वांशिगटन के बीच तनाव बीते वर्ष काफी बढ़ गया था जब डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका को परमाणु संधि से अलग कर लिया था और तेहरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था।
ईरान की अधिक कार्रवाई की धमकी
ईरान ने मई में कहा कि “वह परमाणु संधि में तय अपने परमाणु कार्यक्रम की कुछ सीमाओं का उल्लंघन करेंगे और अगर यूरोपीय राष्ट्रों ने इस संधि को बचाने और अमेरिकी प्रतिबंधो को हटाने में मदद नहीं की तो ईरान ने मजीद कार्रवाई की धमकी दी है।”
हालिया महीनो में पश्चिम और तेहरान के बीच तनाव काफी बढ़ा है, जब खाड़ी में तेल टैंकर पर हमला किया गया, साथ ही तेल जहाजों को जब्त किया गया था। बीते हफ्ते अमेरिका ने दावा किया कि उन्होंने ईरान के दो ड्रोन को मार गिराया था और उन पर तेल जहाजो पर रहस्मय सिलसिलेवार हमलो का आरोप लगाया था।
ईरान ने जून में अमेरिका के मानवरहित निगरानी ड्रोन को मार गिराया था और अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रतिकारी हमले को कुछ समय पहले ही रोक दिया था क्योंकि इससे नागरिक हताहत ज्यादा होती।
यूरोपीय संघ ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि इस अद्भुत बैठक की अध्यक्षता यूरोपीय एक्सटर्नल एक्शन सर्विस के सेक्रेटरी जनरल हेलगा स्च्मिद करेंगे। यह बातचीत ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और ईरान के आग्रह पर आयोजित की गयी है और इसमें परमाणु संधि के अमल से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।