यूरोपीय संघ से ब्रिटेन की अलग होने की ख्वाइश (ब्रेक्सिट) को प्रधानमंत्री थेरेसा मे की नयी नीतियों ने लन्दन की धमनियों में ऑक्सीजन का संचार किया है।
मंगलवार को ब्रितानी पीएम ने यूरोपीय संघ से जुदा होने बाद लागू होने वाली नई आप्रवासी नीतियों का खुलासा किया है। थेरेसा मे ने कहा कि ईयू से अलग होने के बाद वह देश में नई आप्रवासी प्रणाली ”मूवमेंट वन्स फॉर ऑल’ अर्थात सभी के लिए एक का संघर्ष” लागू की जाएगी।
भारत को ब्रिटेन के नये नियमों ‘उच्च तकनीकी प्रशिक्षित आप्रवासियों की मांग वाली नीति’ से फायदा हो सकता है। थेरेसा मे ने कहा दशकों बाद देश का इस पर नियंत्रण और अधिकार होगा कि कौन देश में रहेगा और कौन नहीं।
उन्होंने कहा यह नीति कौशल पर आधारित है। ब्रिटेन को कौशल और प्रशिक्षण में निपुण कारीगर चाहिए फिर चाहे नप विश्व में किसी भी देश से सम्बन्ध रखते हो।
यह नई नीति ब्रिटेन के ईयू से साल 2021 तक पूरी तरह संधि विच्छेद के बाद लागू होगी। ब्रितानी सरकार ने कहा कि नए नियमों के मुताबिक कौशल प्रशिक्षण पर खरा उतरने वालों को उनकी कंपनी के अधिकारी की अनुमति पर परिवार को ब्रिटेन लाने की इज़ाज़त दी जाएगी।
पिछले माह माइग्रेशन सलाहकार कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार निम्न प्रशिक्षित कारीगरों के मुकाबले उच्च कौशल के कारीगरों के वीजा आवेदनों को प्राथमिकता दी जा रही है।
नए आप्रवासी मसौदे को अगले वर्ष ब्रितानी संसद में रखा जायेगा। साथ ही इस नीति के विषय में अगले सप्ताह तक सूचना जारी कर दी जाएगी।
गैर ईयू देश मसलन भारत से ब्रिटेन में सालाना 20,700 आप्रवासी जाते हैं। जिनके लिए सख्त वीजा नियम मान्य हैं।
ब्रिटेन की पीएम के पूर्व विदेश सचिव बोरिस जॉनसन थेरेसा मे की रणनीतियों का विरोध करते रहे हैं साथ ही वह ब्रेक्सिट के भी खिलाफ रहे हैं। हाल ही में उन्होंने इन्हीं कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया था।।
ब्रेक्सिट क्या है ?
ब्रेक्सिट अर्थात् ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से अलग होना। ब्रिटेन में साल 2016 में जनमत संग्रह के द्वारा ईयू से अलग होने का निर्णय लिया गया था। ईयू से ब्रिटेन मार्च 2019 तक अलग हो जायेगा। अलबत्ता कुछ समझौतों पर ईयू और लन्दन की सहमति न होने के कारण इस जुदाई में देरी हो सकती है।
थेरेसा मे अलग होने के बावजूद ईयू के साथ आर्थिक और व्यापारिक सम्बन्ध कायम रखना चाहती है लेकिन यूरोपीय संघ के सदस्य इससे वाकिफ नहीं रखते हैं।
यूरोपियन यूनियन में 28 सदस्य देश शुमार हैं जिसमें मुख्यत इटली, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड जैसे देश हैं।