देश के सभी सार्वजनिक बैंकों ने अपने ब्याज दरों में कटौती कर रखी है। अत: जब भी कोई खाताधारक किसी बैंक में एफडी कराने जाता है, उस दौरान ब्याज की घटी हुई दरों को देखकर सोचने लगता है। बैंक कस्टमर का यह सोचना लाजिमी है कि आखिर इतनी कम दर पर वो फिक्स डिपॉजिट क्यों कराए। दरअसल एफडी कराने वालों को सुरक्षित और ज्यादा रिटर्न की चिंता है।
अब सवाल ये उठता है कि इतनी कम रेट के बावजूद एफडी कराना किस हद तक सही होगा या फिर किसी दूसरे स्मॉल सेविंग स्कीम पर ध्यान दिया जाए। खाताधारकों के दिमाग में एक प्रश्न और ये भी उठता है कि क्या कर्ज सस्ता होने के बाद ईएमआई का बोझ भी कम होगा?
बैंकिंग विशेषज्ञ मेहुल अशर और विनय तलुजा उपरोक्त प्रश्नों का जवाब देते हुए कहते हैं कि एफडी कराने का यह अच्छा मौका है। बैंक में घटती ब्याज दरों के देखते हुए लॉन्ग टर्म एफडी कराना बेहतर होगा। यही नहीं निवेशकर्ता लॅान्ग टर्म बॉन्ड फंड भी निवेश करा सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर स्माल सेविंग स्कीम के जानकारों का मानना है कि स्मॉल सेविंग स्कीम में निवेश करने से बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिलने वाला है। क्योंकि अभी ब्याज दरों में जो कमी देखने को मिल रही वो आगे चलकर यील्ड हो सकती है।
बैंकिंग जानकारों को मानना है कि टैक्स फ्री बॉन्ड में निवेश किया जा सकता है बशर्ते निवेश करने से पहले ये जरूर देखें कि इस बॉन्ड में यील्ड कितना है। यहीं नहीं निवेश करने से पहले टैक्स फ्री बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड और लिक्विडिटी को एक बार जरूर चेक कर लें।