आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान ने मंगलवार को कहा कि बैलआउट पैकेज के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बातचीत में मौलिक उन्नति हुई है। ख़बरों के मुताबिक आईएमएफ ने पाकिस्तान से चीन से मिली आर्थिक सहायता का खुलासा करने की मांग की है और कर संग्रह का विस्तार करने को कहा है।
17 से 20 नवम्बर तक पाकिस्तान की यात्रा पर आये आईएमएफ के प्रतिनिधि समूह का नेतृत्व हेराल्ड फिंगर ने किया था। पाकिस्तान की आर्थिक मदद की आधिकारिक गुहार के बाद आईएमएफ का समूह पाकिस्तान आया था। वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस बैठक में अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के बाबत बातचीत हुई थी।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि आईएमएफ के साथ सकारात्मक बातचीत रही, इस कार्यक्रम के अंतिम दिनों तक बातचीत प्रक्रिया जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सरकार आईएमएफ द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद की सराहना करती है। पाकिस्तान सरकार का एजेंडा आवाम के आर्थिक और सामाजिक हालातों को सुधारना है।
आईएमएफ ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार की नीतियों को जानने में सार्थक तरक्की जारी है और कुछ सुधार पाकिस्तान के साथ वित्त साझेदारी को भी समर्थन करेगा। फिंगर ने कहा कि आईएमएफ पाकिस्तान के साथ बैलआउट पैकेज से सम्बंधित बातचीत जारी रखेगा। स्थानीय मीडिया ने दोनों पक्षों के मध्य आईएमएफ की शर्तों पर मतभेद बताया है।
आईएमएफ ने बैलआउट पैकेज के लिए पाकिस्तान के समक्ष कठिन शर्ते रखी है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा था कि हमारी और आईएमएफ की स्थितियों में अंतर है। उन्होंने कहा था कि सऊदी अरब के 3 अरब डॉलर सहायता राशि में से अक अरब डॉलर पाकिस्तान बैंक में आ चुके हैं और शेष राशि अगले कुछ दिनों में आ जाएगी। चीनी सहायता राशि के बाबत वित्त मंत्री ने बताया कि इस जानकारी को आईएमएफ के साथ कर दिया जायेगा।
सूत्रों के मुताबिक आईएमएफ की टीम ऊर्जा क्षेत्र सुधार योजना से संतुष्ट नहीं है और चाहती है कि सरकार ऊर्जा के लिए नए शुल्क लागू करें और ऊर्जा संचालक को स्वतंत्र तरीके से इससे निपटने दें। पाकिस्तान का हालिया वित्त वर्ष घाटा 18 बिलियन डॉलर का है। वित्त घाटा पाकिस्तान के सालाना सकल घरेलू उत्पाद के 6.6 प्रतिशत तक पंहुच गया है।
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान आर्थिक सहायता के लिए दो दिवसीय यात्रा पर मलेशिया गए हैं। हाल ही में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर की मदद का आश्वासन दिया था। ख़बरों के मुताबिक चीन ने भी पाकिस्तान को 6 बिलियन डॉलर की मदद मुहैया करने कावादा किये था लेकिन इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।