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    बैंगलोर पानी समस्या

    एक करोड़-से अधिक आबादी वाला शहर बैंगलोर में पानी की समस्या बेहद खतरनाक हो चुकी है। कावेरी नदी से मिलने वाले पानी की खपत पिछले 40 वर्षों में 21 गुना बढ़कर 21 लाख प्रति एमएलडी से बढ़कर 7 करोड़ प्रति एमएलडी हो गई है। सिंचाई विशेषज्ञों की माने तो आने वाले समय में बेंगलूरू में सूखा हो जाता है।

    सभी पेयजल स्रोतों के लिए बैंगलोर को अपने जल संसाधनों के बारे में सुरक्षात्मक होना चाहिए। लेकिन यहां के नागरिक पानी का सदुपयोग करने की जगह पर लापरवाही अपना रहे है। झीलों की हत्या कर रहे है। झीलों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है।

    दक्षिण अफ्रीका के शहर कैपटाउन को दुनिया का सबसे सूखा शहर कहा जाता है। तो भारत में बेंगलूरू में भी पानी की विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। शहर की बढ़ती जनसंख्या बैंगलोर मे पानी की समस्या बढ़ा रही है।

    1886 तक, बेंगलूरु में पानी की जरूरतों को मानव निर्मित कुओं से मिलती थी। 1896 मे पहली बार अरकावथी नदी से पानी शहर को मिला। इससे 21 एमएलडी पानी शहर को मिलता था। लेकिन आज यह पानी की भी एक बूंद की आपूर्ति नहीं करता है।

    1933 में कावेरी के एक ही उपनदी से जलाशय के लिए पानी खींचा गया। इस जलाशय में 149 एमएलडी की क्षमता है, लेकिन यह अब पानी की आपूर्ति नहीं करता है। बाद में कावेरी नदी से पानी उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न परियोजनाओं को लागू किया गया।

    जरूरतों के हिसाब से कावेरी से पानी के परिवहन की लागत पिछले 40 सालों में 30 गुना बढ़ गई है। कावेरी स्टेज-4 परियोजना में 500 एमएलडी के लिए 3,384 करोड़ रूपये की लागत आ रही है। बेंगलूरू को देश की व्यावसायिक नगरी माना जाता है।

    प्रदूषण और अतिक्रमण

    बैंगलोर में जैसे-जैसे कावेरी नदी से पानी की आपूर्ति में वृद्धि हुई वैसे ही शहर से झीले गायब होने लगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बेंगलूरू मे झीलों पर अतिक्रमण है। जल संसाधन मंत्रालय द्वारा की गई रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक में 14918 जल निकायों को प्रदूषण और अतिक्रमण से सटा हुआ पाया गया है।

    भूजल और कटाई

    बैंगलोर में भूजल का स्तर काफी कम हो गया है। शहर के सैकडों गांवों में भूजल की उपलब्धता बढने से शहर में पानी का संकट बढ़ गया है। के.आर. पुरम, व्हाइटफील्ड, आरटी नगर और जेपी नगर जैसे क्षेत्रों में बोरवेल लगभग 1500 फीट गहराई में है।

    भूवैज्ञानिक कहते है कि यह प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। सिंचाई विशेषज्ञ कप्तान राजा राव का कहना है कि जब तक नागरिकों द्वारा झीलों को पुनर्जीवित नहीं किया जाता है तब तक सूखा की समस्या कम नहीं होगी।

    विभिन्न स्टडी में पाया गया है कि यहां हालात इतने खराब हैं कि झीलों के शहर में एक भी झील ऐसा नहीं है जिसके पानी का इस्तेमाल इंसान कर सके।