Fri. May 3rd, 2024
    बैंगलोर चिनापन्नी झील

    चिन्नापनहली झील, जो बेंगलुरु में जौगर्स वाॅकर्स और बच्चों के लिए एक प्रकृति को देखने का स्थान था, आज वह कूड़े-कचरे की भेंट चढ़ रहा है। झील के आस-पास हुए शहरीकरण के कारण वहा की स्थिति बद से बदतर हो गई है।

    लेकिन चिन्नापनहली झील की यह स्थिति तब तक थी जब तक प्रभाकर राय ने उसकी काया पलट करने की नही ठानी थी।

    2011 में प्रभाकर ने झील की दयनीय स्थिती को देखा। उन्होंने इस बाबत उन्होने अफसरों से बात कर झील की स्थिती सुधारने की सोची।

    प्रभाकर ने बताया कि, “झील में लगे एक बोर्ड पर कुछ कॉन्ट्रैक्टरों एवं कमिश्नर के नाम और फोन नंबर थे। मैंने उनसे झील की दयनीय स्थिती के बारे में बात की लेकिन मुझे कोई मदद नही मिली। इसलिए मैंने फैसला किया की मैं खुद झील की स्थिती सुधारने में लगूंगा।”

    प्रभाकर के इस जज्बे की देन थी कि, चिन्नापनहली झील विकास समिति का गठन हुआ। इस समिति के अध्यक्ष प्रभाकर खुद हैं। यह समिति झील की साफ-सफाई और रख-रखाव के काम को देखती है।

    क्योंकि प्रभाकर एक खेतिहर परिवार से आते हैं और वह स्वयं एक मछली पालन विशेषज्ञ हैं, तो उन्हे इस बात का अंदाजा था कि झील के सौंदर्यीकरण और विकास को कैसे आगे लेकर चलना है।

    उन्होंने गुलबर्ग से 25 मजदरों को बुलाया। इन मजदूरों ने झील की जंगली घास को साफ करने का काम किया। इसके अलावा इन्होंने झील की सफाई और इसमें से अधिक मिट्टी निकालने का भी काम किया। यह सब 2 महीनों तक चला।

    अपने सूत्रों का इस्तेमाल कर प्रभाकर ने अलग अलग उद्योगों के लोगों से झील के सौंदर्यीकरण और उसे एक पर्यटन स्थल बनाने के लिए चंदे और फंड इकट्ठा करना शुरू कर दिया।

    यूनाइटेड वे, सिमेंस और जनरल मोटर्स जैसे उद्योगों ने इस काम में उनकी मदद की। इन उद्योगों ने रंगाई-पुताई, सोलर लैंप लगवाने और खेती के उपकरण लाने में मदद की। प्रभाकर ने इस काम में खुद भी पैसा लगाया और अपने दोस्तो को भी प्रेरित किया।