वित्त मंत्री अरुण जेटली नें हाल ही में घोषणा की थी कि देना बैंक, विजय बैंक और बैंक ऑफ़ बरोड़ा का विलय किया जाएगा। इस घोषणा के बाद से ही कर्मचारियों और बैंक के खाताधारियों में उलझन का माहौल है।
देना बैंक के एक कर्मचारी विनय प्रकाश नें न्यूज़ 18 को बताया कि इस घोषणा के बाद से ही अन्य कर्मचारियों का उनके पास फोन आने लगा और वे सभी लोग अपनी नौकरी को लेकर उलझन में थे। जाहिर है यदि तीनों बैंकों का विलय करके एक बैंक बनता है तो कई लोगों की नौकरियां जा सकती हैं।
प्रकाश नें बताया, “मुझे रात में करीबन 10 फोन आये यह जानने के लिए कि आगे क्या होगा? वरिष्ठ अधिकारीयों को इसकी जानकारी थी लेकिन छोटे पद पर मौजूद लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी। इससे पहले जब भी बैंकों का विलय हुआ है, लोगों की नौकरियां गयी हैं। इस बार हालाँकि कुछ सही होने की संभावनाएं हैं।”
आपको बता दें कि अरुण जेटली नें इस बारे में कहा था, “किसी भी कर्मचारी को कोई कठिन स्थिति का सामना नहीं करना होगा। सभी के लिए बेहतर शर्तें लागू होंगी।” जेटली नें हालाँकि यह नहीं बताया कि ‘कठिन स्थिति’ क्या हो सकती है?
जेटली की इस घोषणा से जो तबका सबसे ज्यादा चिंतित है, वह नीचले पद पर कार्यरत लोग हैं।
दिल्ली में एक एटीएम गार्ड राम चौहान नें बताया कि उन्हें बैंकों के विलय का मतलब नहीं पता है, लेकिन यह जरूर पता है कि इससे लोगों की नौकरियां जायेंगी। उन्होनें कहा था कि जब एसबीआई बैंक नें अन्य बकों के साथ विलय किया था, तब भी ऐसा ही हुआ था।
चौहान के शब्दों में, “मेरे एक साथी नें बताया कि तीनों बैंक मिलकर एक बैंक बनेंगे। मुझे नहीं पता इससे क्या होगा लेकिन जब स्टेट बैंक ऑफ़ पटियाला का विलय हुआ था, तब उसके एटीएम गार्ड की नौकरी चली गयी थी।”
बैंकों के विलय पर कई लोगों नें सवाल उठाये हैं। भारतीय बैंक कर्मचारी संस्था के सचिव नें भी नौकरियां जाने पर सवाल उठाये हैं।
उनके मुताबिक, “पहली बात तो, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि बैंकों के विलय से बैंकिंग प्रणाली को कोई फायदा मिलेगा।”
उन्होनें कहा कि जब एसबीआई बैंक के साथ पांच बैंकों का विलय हुआ था, तब भी कुछ ख़ास नहीं हो पाया था। उन्होनें बताया, “इसके उलट बैंकों के विलय से शाखाएं बंद हो गयी थी, बैड लोन बढ़ गए थे, कर्मचारियों में कमी और व्यापार भी कम हो गया था। इसकी वजह से 200 साल में पहली बार एसबीआई बैंक को नुकसान झेलना पड़ा था।”
उन्होनें बताया कि मार्च 31, 2017 तक एसबीआई के पांच सहायक बैंकों का कुल बैड लोन 65,000 करोड़ रुपए था वहीँ एसबीआई बैंक का कुल बैड लोन 112,000 करोड़ रुपए थे।
उन्होनें कहा कि एसबीआई बैंक के विलय के बाद बैंक का कुल बैड लोन बढ़कर 225,000 रुपए हो गया था। मार्च 2018 तक पूरी बैंक प्रणाली का कुल बैड लोन 895,000 करोड़ रुपए पहुँच गया था।
बैंकों के विलय से यह भी संभावना है कि ग्राहक दुसरे बैंकों में खाता खुलवा लें।
मुंबई के एक नागरिक राहुल किंशुक नें बताया, “मेरा खाता विजया बैंक में कई दशकों से हैं। मैं चाहता था कि कुछ ना बदले। क्या यह गलत नहीं है कि ग्राहकों के पास कोई विकल्प ही नहीं है? एक फैसले से सब कुछ बदल जाता है और फिर हमें उसके हिसाब से बदलाव करने होते हैं।”
आपको बता दें कि आने वाले समय में और भी बैंकों का विलय देखने को मिल सकता है।
सरकार नें कुछ समय पहले आरबीआई बैंक से यह पूछा था कि आने वाले समय में किन बैंकों का विलय किया जा सकता है? ऐसे में 21 सरकारी बैंकों में आने वाले समय में विलय देखा जा सकता है।