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    चीन के अधिकारी ने शनिवार को बताया कि सरकार के 40 प्रतिनिधियों सहित 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि दूसरे बेल्ट एंड रोड सम्मेलन में शरीक होंगे। इसका आयोजन अगले माह होगा। चीन की पहली बीआरएफ बैठक का आयोजन साल 2017 में हुआ था। यह चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग की महत्वकांक्षी परियोजना का भाग है जिसका मकसद समस्त विश्व में अपने प्रभुत्व को बढ़ाना है।

    भारत ने पहली बीआरआई बैठक का बहिष्कार किया था क्योंकि चीन-पाक आर्थिक गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजर रहा है। भारत ने इस पर अपनी आपत्ति प्रकट की है। चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिश्री ने कहा कि “भारत इस वर्ष भी पहले की तरह सम्मेलन का बहिष्कार करने के मूड में हैं।”

    उन्होंने कहा कि “ईमानदारी से कहूं तो बीआरआई पर हमारी स्थिति और विचारो में कोई परिवर्तन नहीं आया है। इस पर हमारी स्थिति स्पष्ट और सिलसिलेवार है।”

    सिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी के इंटरव्यू में चीनी कॉउंसलर यांग जिएची ने कहा कि “विदेशी सरकारों के 40 नेताओं सहित 100 देशों के प्रतिनिधि इस सम्मेलन में शिरकत करेंगे। उन्होंने दूसरे बीआरएफ सम्मेलन में अपनी उपस्थिति की पुष्टि कर दी है।”

    पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस आयोजन में शामिल होने की पुष्टि करने वाले नेताओं में शुमार है। यांग ने कहा कि “मेज़बान देश होने के नाते हम फोरम की पार्टियों के साथ होंगे और भविष्य में बीआरआई को अधिक समृद्ध बनाने के लिए ब्लूप्रिंट को बनाएंगे।”

    भारत और अमेरिका जैसे देशों ने बीआरआई प्रोजेक्ट पर अपनी चिंताओं को जगजाहिर किया है। अमेरिका के मुताबिक यह परियोजना छोटे देशों को कर्ज से दबा देगी। श्रीलंका के चीनी कर्ज चुकता न कर पाने के कारण बीजिंग ने कोलोंबो से 99 वर्ष के लिए हंबनटोटा बंदरगाह को किराए पर ले लिया है। पाकिस्तान और मलेशिया जैसे देशों ने भी चीनी परियोजना में कटौती की इच्छा जाहिर की थी।

    आलोचनाओं का खंडन करते हुए चीन के पूर्व विदेश मंत्री यांग ने कहा कि “हमने नोटिस किया है कि कुछ लोग बीआरआई पर अपने भिन्न विचार व्यक्त कर रहे थे। दावा कर रहे हैं कि बीआरआई एक भूराजनीतिक औजार है और कुछ देशों को कर्ज के दलदल में दबा देगा। ऐसे विचार लक्ष्य से भटके हुए और असंतुलित है। बीआरआई के प्रति ऐसे विचार ग़लतफ़हमी, बहकाना और पक्षपाती हैं।”

    उन्होंने कहा कि “कोई भी बीआरआई पर कर्ज के आरोप लगाने की बेहतर स्थिति में नहीं है, यहां तक कि बीआरआई के साझेदार भी। कई देशों की सरकारों, कारोबारी समुदायों और  सामान्य जनता ने बीआरआई में साझेदारी की है और इसका फायदा उठाया है, ने इसके बाबत बताया है और बेबुनियादी आरोपों को खारिज किया है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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