ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि “चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत प्रोजेक्ट का निर्माण उनके क्षेत्र में आर्थिक विकास लाने में मदद करेगा और पाकिस्तान व अफगानिस्तान के चरमपंथियों के लिए बड़ा आघात होगा। ईरान में चाहबार से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक, सभी आतंकी क्षेत्रों में विकास की कमी है।”
आतंकवाद से निपटने का बेहतर तरीका
उन्होंने कहा कि “अगर हम उन क्षेत्रों को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत विकसित करते हैं तो यह पाकिस्तान के चरमपंथियों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा, ईरान के भागो में विदेशी प्रायोजित आतंकवाद और अफगानिस्तान में चरमपंथ से निपटा जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि “बीआरआई की पहल चीन के लिए रणनीतिक पहल है और चीनी राष्ट्रपति ने इसे अपनी प्राथमिकताओं में शुमार किया है, हम इस पर सकारात्मक तौर से विचार करते हैं। वे क्षेत्र में एक बेहतरीन डील का निवेश कर रहे हैं। ईरान में उनके कई प्रोजेक्ट है।”
जावेद जरीफ ने कहा कि “हम चाहबार बंदरगाह के जरिये ओमान के सागर को यूरोप से जोड़ेंगे, इसमें सैंट पीटर्सबर्ग और ब्लैक समुद्र है। यह रणनीतिक पारवहन गलियारा है। यहां पूर्व और पश्चिम को जोड़ने वाले कई ट्रांजिट प्रोजेक्ट है। हमने इराक के साथ सहमति जताई है, हमारे रेलरोड को इराकी रेलरोड से जोड़ा जायेगा यानी हमारे रेल मार्ग को समस्त क्षेत्र से जोड़ा जायेगा।”
चीनी परियोजना
उन्होंने कहा कि “यह महत्वपूर्व विकास परियोजना है जो न सिर्फ आर्थिक विकास करेगी बल्कि आतंकवाद से भी लड़ेगी।” चीन की बीआरआई परियोजना का भारत आलोचक रहा है क्योंकि सीपीईसी परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है। नई दिल्ली के मुताबिक, वह ऐसे प्रोजेक्ट को स्वीकार नहीं कर सकते हैं जो उनकी मूल चिंताओं यानी सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को नज़रअंदाज़ करता हो।”
भारत ने साल 2017 में बीआरआई की पहली बैठक का बहिष्कार किया था और इस दफा भी भारत इस सम्मेलन में शामिल नहीं होगा। चीन ने साल 2013 में बीआरआई के प्रस्ताव का खुलासा किया था जिसका मकसद दक्षिणी पूर्वी एशिया, मध्य एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जमीन और समुंद्री मार्ग से जोड़ना था।
बहुपक्षीय धरना के बाबत जावेद जरीफ ने कहा कि “सभी एकपक्षीय घमंड से भरे हुए हैं। अमेरिका की एक तरफ़ा नीतियों से शेष विश्व खुश नहीं है। हम क्षेत्रीय परिदृश्य का भाग है, हम वैश्विक पटकथा का हिस्सा है। अगर ईरान के पड़ोसी मुल्क उनके साथ गैर आक्रमक समझौते के लिए तैयार है, तो हम भी इसके लिए तैयार है। इसमें सऊदी अरब और यूएई शामिल है।”
उन्होंने जो देते हुए कहा कि “ईरान अपने आकार, भूगोल और प्राकृतिक संसाधन से संतुष्ट है। किसी दुसरे के साथ क्षेत्रीय लालसा का हमारे पास कोई कारण नहीं है। हमारे तुर्की के साथ बेहद अच्छे सम्बन्ध है और पाकिस्तान के साथ काफी अच्छे सम्बन्ध है। अन्य मुल्को अज़रबाइजान, रूस और इराक के साथ हम अपने संबंधों का लुत्फ़ उठाते हैं और अफगानिस्तान के साथ रिश्ते बिहग उम्दा है।”