बेगम अख्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत के जगत में एक बहुत बड़ा नाम थी। बेगम अख्तर को गजल की दुनिया में मल्लिका-ऐ-गजल के नाम से जाना जाता है। आज 7 अक्टूबर को बेगम अख्तर की वर्षगांठ है, जिसे पूरा विश्व मना रहा है।
आज के दिन 1914 में जन्मी बेगम अख्तर उत्तर प्रदेश की फैज़ाबाद की रहने वाली थी। सात साल की नाजुक उम्र में भी बेगम को शास्त्रीय संगीत का चस्का लगा गया था। बेगम ने संगीत की दुनिया में कदम उस्ताद इमदाद खान की छत्र-छाया में रखा। इन्होने ही बेगम को संगीत की शिक्षा दी थी।
बेगम ने 15 साल की उम्र में ही अपना पहला सार्वजनिक गीत गया जिसके लिए सरोजिनी नायडू ने इनके गाने की तारीफ़ भी की थी। उस समय भारत में संगीत का दौर चला ही था। धीर-धीरे फिल्मों के आने से संगीत के दौर में कई बदलाव आये। आने वाले समय में बेगम अख्तर को गजल की दुनिया की मल्लिका कहा जाने लगा।
छोटी उम्र में शादी की वजह से बेगम को गाने से भी दूर रहना पड़ा। इस कारण से कई बार उनकी सेहत भी बिगड़ी। अपने जीवन के आखिरी दिनों में बेगम ने आल इंडियन रेडियो के लिए सैकड़ों गाने गाये। बेगम ने अपने जीवन के दौरान करीबन 400 गाने गाये, जिनमे से ज्यादातर उन्होंने खुद ही लिखे थे।
बेगम अख्तर द्वारा गयी मुख्य गजलें और गाने
- जोकोना कोरेचे आरी
- कलयुग है जबसे आया माया में
- वो हंस रहे हैं आह किये जा
- ऐ प्रेम तेरी बलिहारी हो
- रहने लगा है दिल में अँधेरा
- हमें याद तेरी सताने लगी
बेगम अख्तर का निधन 1974 में हो गया था। संगीत की दुनिया में उनके अपार योगदान के लिए उन्हें पदम् श्री और पदम् भूषण से नवाजा गया था। इसके अलावा उन्होंने संगीत की दुनिया का संगीत नाटक अकादेमी अवार्ड भी जीता था।
उन्हें याद करने के लिए गूगल ने भी आज अपनी वेबसाइट के जरिये उन्हें श्रद्धांजलि दी है।