इजरायल में बेंजामिन नेतन्याहू (71) की सत्ता को खत्म करने का विरोधियों का सपना रविवार को पूरा हो गया। नीसेट (संसद) में विश्वास मत हासिल कर संयुक्त गठबंधन के नेता नाफ्ताली बेनेट इजरायल के प्रधानमंत्री बन गए। सबसे लंबे समय 12 साल देश के प्रधानमंत्री रहे बीबी के नाम से प्रसिद्ध नेतन्याहू जाते-जाते फिर वापसी का एलान कर गए। संसद में अपने भाषण में नेतन्याहू ने नई सरकार को खतरनाक करार देते हुए कहा कि वह पूरी क्षमता से विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।
लिकुड पार्टी का नेतृत्व करेंगे और गठबंधन सरकार को सत्ता से हटाए बिना चैन से नहीं बैठेंगे। इजरायल की सुरक्षा उनके जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। ट्विटर पर देशवासियों के लिए नेतन्याहू ने प्यार और आभार जताया। इससे पहले रविवार अपराह्न गठबंधन सरकार के विश्वास मत के लिए नीसेट का विशेष सत्र आहूत किया गया। इजरायल की संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार प्रधानमंत्री पद के लिए दावा करने वाले नेता को पहले विश्वास मत हासिल करना होता है, इसके बाद वह प्रधानमंत्री पद की शपथ लेता है।
इससे पहले बेनेट ने संसद में संबोधन के दौरान अपनी सरकार के मंत्रियों के नामों की घोषणा की और इस दौरान 71 वर्षीय नेतन्याहू के समर्थकों ने बाधा भी डाली। प्रतिद्वंद्वी पार्टी के सांसदों के शोर शराबे के बीच बेनेट ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वह ”अलग-अलग विचार वाले लोगों के साथ काम करेंगे। बेनेट ने कहा, ‘इस निर्णायक समय हम यह जिम्मेदारी उठा रहे हैं। इस सरकार के अलावा देश के सामने बस यही विकल्प था कि और चुनाव करवाएं जाएं। इससे और नफरत फैलती और देश पर असर पड़ता।
लिकुड पार्टी के सदस्यों ने उनके संबोधन के दौरान हंगामा किया और उनको अपराधी और झूठा बताया। अपने संबोधन में बेनेट ने यह भी कहा कि इजरायल कभी भी ईरान को परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल नहीं करने देगा।
इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बेनेट को बधाई दी और कहा कि वह उनके साथ काम करने को उत्सुक हैं। बाइडेन ने कहा, ‘अमेरिका के लोगों की ओर से मैं प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट और विदेश मंत्री याइर लापिड तथा नए मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को बधाई देता हूं। दोनों देशों के संबंधों को और प्रगाढ़ करने पर हम काम करेंगे।’
बेनेट से साफ कर दिया है कि वह प्रशासनिक व्यवस्था में कोई बड़ा बदलाव करने नहीं जा रहे। मतलब यह है कि शासन नेतन्याहू के दक्षिणपंथी नजरिये से ही चलेगा। बेनेट ने कहा, वह अमेरिका के 2015 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में वापस लौटने का पुरजोर विरोध करेंगे लेकिन अन्य मामलों में राष्ट्रपति जो बाइडन का समर्थन करेंगे।