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    उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के बांदा जिले में ‘लाल सोना’ यानी बालू की लूट एक बार फिर शुरू होने का आरोप बुंदेलखंड किसान यूनियन ने लगाया है और इसके खिलाफ जल्द ही बड़ा आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। हालांकि प्रशासन ने अवैध बालू खनन से इंकार किया है।

    बुंदेलखंड किसान यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष विमल शर्मा ने कहा, “जिले में छोटी-बड़ी एक सैकड़ा से अधिक जगहों पर बालू की खदानें संचालित हैं। नदियों के अलावा माफिया किसानों के खेतों से जबरन बालू का खनन कर रहे हैं।”

    उन्होंने आरोप लगाया कि “सत्ता पक्ष के विधायक और कुछ नेता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस गोरखधंधे में शामिल हैं। इतना ही नहीं, बालू माफिया किसानों की खड़ी फसल रौंद कर ओवरलोड ट्रक निकलते हैं। अगर किसान विरोध करता है तो उसकी गनीमत नहीं है।”

    शर्मा ने चेतावनी दी कि यदि बालू का अवैध खनन और किसानों का उत्पीड़न बंद नहीं हुआ तो किसान शीघ्र ही बड़ा आंदोलन करेंगे।

    पुलिस के अधिकारी ने भी नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार किया कि “नरैनी क्षेत्र में सर्वाधिक बालू का अवैध खनन हो रहा है। इस क्षेत्र के गांवों में शाम से लेकर सुबह आठ बजे तक बालू लदे ट्रैक्टर फर्राटा भरते हैं। सत्ता पक्ष के एक जनप्रतिनिधि के दो भाई और उनके प्रतिनिधि के तीन ट्रैक्टर बालू ढुलाई के काम पर लगे हैं। पर, पुलिस क्या करे।”

    लेकिन अपर जिलाधिकारी संतोष बहादुर सिंह जिले में अवैध खनन से इंकार किया है। वह कहते हैं, “मध्य प्रदेश की सरहद में अवैध खनन हो सकता है, पर बांदा जिले में ऐसा कुछ नहीं है। समय-समय पर पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी छापेमारी कर रहे हैं और अवैध खनन करते पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई भी की जाती है।”

    बांदा के खनिज अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि “वैसे तो पूरे जिले में 39 बालू की वैध खदानें हैं, लेकिन मौजूदा समय में कनवारा, लहुरेटा, दुरेंड़ी और भुरेंडी में बालू का खनन हो रहा है। इसके अलावा जो भी खनन हो रहा है, वह अवैध है।”

    जबकि बुंदेलखंड किसान यूनियन का दावा है कि नरैनी क्षेत्र की बागै नदी में राजापुर, नौगवां, मुगौरा व दूली गांव में आधा दर्जन, केन नदी में रिसौरा, मऊ, बांसी, पारादेव, लहुरेटा, नसेनी, जमवारा, बरसड़ा-मानपुर और रंज नदी में बरकोला, पुंगरी, शाहपाटन, बसराही आदि तीन दर्जन गांवों में दिन-रात बालू का खनन किया जा रहा है।

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