बुंदेलखंड के चार संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस और भाजपा ने नए चेहरों पर दांव लगाया है। कांग्रेस ने जहां चारों सीटों पर नए चेहरे मैदान में उतारे हैं, वहीं भाजपा ने दो सांसदों और दो नए चेहरों को उम्मीदवार बनाया है। इस क्षेत्र की सभी सीटों पर रोचक और कड़ा मुकाबला नजर आ रहा है।
बुंदेलखंड में चार संसदीय क्षेत्र सागर, दमोह, खजुराहो व टीकमगढ़ आते हैं। इन चारों स्थानों पर बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा ने दमोह से सांसद प्रहलाद पटेल और टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र खटीक पर फिर विश्वास जताया है तो खजुराहो से वी.डी. शर्मा और सागर से राजबहादुर सिंह पर दांव लगाया है। दूसरी ओर कांग्रेस ने खजुराहो से कविता राजे सिंह, सागर से प्रभु सिंह ठाकुर, दमोह से प्रताप सिंह लोधी और टीकमगढ़ से किरण अहिरवार को मैदान में उतारा है।
खजुराहो संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के नए चेहरों के बीच मुकाबला है। यहां कांग्रेस ने राजपरिवार से नाता रखने वाली कविता राजे सिंह को मैदान में उतारा है। उनके पति विक्रम सिंह उर्फ नाती राजा राजनगर से कांग्रेस के विधायक हैं। वहीं भाजपा ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रहे और वर्तमान में भाजपा के प्रदेश महामंत्री वी. डी. शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है।
खजुराहो संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्रों में से छह पर भाजपा और दो पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं पुनर्गठन के बाद से इस सीट से पिछले दो चुनावों से भाजपा उम्मीदवार ही जीतते आ रहे हैं। इससे पहले यहां से भाजपा की उमा भारती, रामकृष्ण कुसमारिया और कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी व सत्यव्रत चतुर्वेदी भी चुनाव जीत चुके हैं।
इसी तरह टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र का दो बार से भाजपा के वीरेंद्र खटीक प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। संसदीय क्षेत्र के परिसीमीन के बाद हुए चुनाव में लगातार दो बार भाजपा ही जीती है। यहां की आठ विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा का कब्जा है तो तीन पर कांग्रेस और एक पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने कब्जा जमाया है। भाजपा के खटीक के मुकाबले कांग्रेस ने किरण अहिरवार को मैदान में उतारा है। कांग्रेस का यह नया चेहरा है।
सागर संसदीय क्षेत्र से भाजपा और कांग्रेस दोनों ने नए चेहरों को मौका दिया है। कांग्रेस ने पूर्व विधायक प्रभु सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है तो भाजपा ने राजबहादुर सिंह को मैदान में उतारा है। इस संसदीय क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से सात पर भाजपा का कब्जा है, जबकि एक कांग्रेस के पास है। वर्ष 1996 के बाद से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है।
बुंदेलखंड का दमोह संसदीय क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां वर्ष 1989 के बाद से भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीतते आ रहे हैं। भाजपा ने यहां से सांसद प्रहलाद पटेल को एक बार फिर मैदान में उतारा है, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने नए चेहरे प्रताप लोधी पर दांव लगाया है। इस संसदीय क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस का चार, भाजपा का तीन और बसपा का एक सीट पर कब्जा है। इस तरह यहां मुकाबला कांटे का होने की संभावना है, क्योंकि यह लोधी बाहुल्य क्षेत्र है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही लोधी समाज के लोगों को उम्मीदवार बनाया है।
बुंदेलखंड की राजनीति के जानकार संतोष गौतम का मानना है, “बुंदेलखंड में यह चुनाव बिना लहर का है। भाजपा का चारों सीटों पर कब्जा था, लिहाजा उसने दो सांसदों के स्थान पर नए चेहरों को मौका दिया है, जो युवा हैं। कांग्रेस ने चारों स्थानों पर नए चेहरों को उतारा है। यहां कोई मुद्दा नहीं है, यहां मतदान पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस की राज्य सरकार के कामकाज पर होने वाला है। जातीय समीकरण जरूर चुनावी नतीजों पर असर डाल सकता है।”
बुंदेलखंड के चारों संसदीय क्षेत्रों के तहत आने वाली 32 विधानसभा सीटों में से बीते साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में 20 पर भाजपा, 10 पर कांग्रेस और एक-एक पर सपा और बसपा ने जीत दर्ज की थी। यानी राज्य में भले ही कांग्रेस की सरकार बनी है, मगर बुंदेलखंड से कांग्रेस के मुकाबले दोगुने विधायक भाजपा के जीते थे।