महाराष्ट्र में भले ही शिवसेना व बीजेपी के बीच गठबंधन चल रहा हो लेकिन मौजूदा हालातों मे दोनों पार्टियों का भविष्य में साथ रहना संदिग्ध नजर आ रहा है। हाल ही में एक किसान द्वारा महाराष्ट्र सचिवालय में जहर पीकर आत्महत्या के मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। इस घटना पर शिवसेना सहित विपक्षी पार्टियों ने फडणवीस सरकार पर जमकर हमला बोला है।
जमीन के लिए उचित मुआवजे की मांग करते हुए पिछले सप्ताह जहर पीने वाले किसान धर्मा पाटिल की रविवार रात जेजे अस्पताल में मौत हो गई थी। शिवसेना ने कहा कि इस घटना से महाराष्ट्र सरकार नष्ट हो सकती है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय मे कहा गया है कि फडणवीस सरकार धर्म पाटिल के मृत शरीर पर खड़ी है। बीजेपी की जगह पर खुद देवेन्द्र फडणवीस को सरकार चलानी चाहिए।
सामना संपादकीय में बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने लिखा कि मुख्यमंत्री फडणवीस राज्य में निवेश लाने के लिए अपने प्रतिनिधियों के साथ दावोस में शामिल होने गए थे। लेकिन राज्य के किसान तो आत्महत्या करने को मजबूर है, ऐसे मे इस विदेशी निवेश की कोई जरूरत नहीं है।
अगला चुनाव अकेली लड़ेगी शिवसेना
मौजूदा सरकार के अंदर विकास परियोजनाओं के नाम पर सरकार द्वारा नियुक्त एजेंट भूमि पर कब्जा कर रहे है। जो किसान एजेंटो के जरिए सौदेबाजी करते है उन्हें तो भारी मुआवजा दिया जा रहा है बाकि किसानों के लिए बहुत कम मुआवजा राशि जारी की जाती है।
वहीं पिछले हफ्ते ही शिवसेना ने घोषणा की थी कि अगले साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा आम चुनावों में शिवसेना खुद चुनाव लडेगी। शिवसेना ने कहा कि ऐसी घटनाओं ने सरकार की विश्वसनीयता को प्रभावित किया है और यह जरूरी है कि मुख्यमंत्री इस मामले पर गौर करे। इस पर बीजेपी ने कहा कि शिवसेना को यह महसूस करना चाहिए कि वह सरकार का ही हिस्सा है।