Sat. Nov 23rd, 2024
    बीजेपी,शिवसेना के मुखपत्र

    शिवसेना ने एक बार फिर से बीजेपी पर हमला बोला है। शिवसेना के मुखपत्र ”सामना” में कहा गया है कि नए साल में नया जुबानी जौहर देखने को मिलेगा। गुजरात चुनाव ख़त्म होने के बाद राजनीति गलियारों में कुछ दिन के लिए शांत महल दिखेगा। गुजरात और हिमांचल में हुए चुनाव की आग 18 दिसम्बर को शांत हो जाएगी।

    सामना में लिखा है कि उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों की जुबानी गर्माहट तो पहले ही उत्तर की ठंड में लुप्त हो चुकी है। चंद दिनों का चैन है, क्योंकि नए जुबानी जौहरबाज अब नए साल में ही दिखेंगे। 2018 के शुरूआती दिनों में ही नागालैंड, मेघालय, और त्रिपुरा समेत कर्णाटक के लिए चुनाव होंगे। साल के अंत में राजस्थान, मिजोरम और मध्यप्रदेश के लिए चुनाव होगा। जब तक जौहरबाजो की जुबानी तलवारे अपने मयान की शोभा बढ़ाएंगी, जुबानी जुमले नरम दिखेंगे।

    उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव हो या गुजरात विधानसभा चुनाव, जनता सभी पार्टियों के जुबानी हमले देख चुकी है। अगर जनता यह मानती है कि इन चुनावों में भाजपा ने हर तरह की जुबानी बाजी मारी है, तो उसे नतीजों के आधार पर ऐसा मानने का हक है। उतर प्रदेश के निकाय चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओ ने मानों जुबानी जौहर दिखने में कोई कसार नहीं छोड़ी हो। पार्टी के सभी नेताओ ने अपने जुबानी जुमले के करतब दिख रहे थे।

    शिवसेना ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपाइयों में ऐसा लग रहा था कि इनको जुमले बोलने के लिए ही पार्टी में रखा गया है। भाजपा के नेताओ ने राहुल गाँधी को बार वाला कहा तो कुछ ने तो उनकी तुलना औरंगजेब और अलाऊदीन खिलजी से की।
    लेख में आगे कहा गया है कि इससे मन नहीं भरा तो फिर उनके एक मंत्री मौत से लड़ रहे मरीजों के जले पर नमक छिड़कने से बाज़ नहीं आए। वो उनकी बीमारी को उनके पापों की सज़ा करार दे गए। तो वही बीजेपी के असम सरकार के स्वास्थ मंत्री ने अपने बयां में कहा कि पाप करने वाले को भगवान् कैंसर से पीड़ित कर सजा देते है।

    स्वास्थ मंत्री के इस बयान पर सवाल भी उठे कि ऐसा निर्दयी, निष्ठुर स्वास्थ्य मंत्री कैसे हो सकता है, जिसके मन में मरीजों के लिए दर्द न हो, जिसका मन उनकी तकलीफ देख कर व्यथित न होता हो। ऐसा व्यक्ति भला संवेदनशील मंत्रालय का प्रभारी कैसे हो सकता है।

    मुखपत्र में लिखा गया है कि निर्दोष, असहाय मरीजों के पूरे तबके को आहत करने से इनका मन नहीं भरा। तब गुजरात सरकार के उप मुख्यमंत्री अपने पद की गरिमा को ताक पर रख कर एक नए चेहरे को बदरंग करने के लिए समुदाय विशेष तक को निशाना बनाने से बाज नहीं आए। वे उनकी मांग पर कह गए, मूर्ख ने दरख्वास्त दी, मूर्ख ने मानी।

    वही बिहार के एक बीजेपी सांसद चाटुकारिता में इतना अँधा हो गया कि उसने अपने अंध भक्ति में मोदी की तरफ उठने वाले हाथ जुबान काट देने की बात कह डाली।
    शिवसेना अपने मुखपत्र में लिखा है कि भाजपा में ऐसे जुबानी जौहरबाजो की लिस्ट काफी लम्बी है। यह केवल हाल फ़िलहाल का हिसाब है, अगर इनका तीन साल का बही खाता खंगाल कर देखा जाये तो एक लम्बी लिस्ट तैयार हो जाएगी।

    बीजेपी के जौहरबाज फ़िलहाल शांत है लेकिन यह शांति मय माहौल ज्यादा दिन तक स्थिर नहीं रहने वाला है।