भारतीय टेलिकॉम इंडस्ट्री पिछले दो सालों से बड़े बदलाव देख रही है, ख़ास कर की जब से जिओ आया है तभी से दुसरे टेलिकॉम सुविधा प्रदाताओं के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। अपनी सस्ती और बेहतर सुविधा के कारण जिओ ने सबसे ज्यादा उपभोक्ताओं का दिल जीता जिससे ज्यादा लोग उसे ही चुन रहे हैं।
ऐसे में दुसरे प्रदाताओं को घाटा हो रहा है और वहन करना मुश्किल हो रहा है। इसके चलते ये प्रदाता बाज़ार में टिके रहने के लिए नए नए तरीके खोज रहे हैं। इसके चलते हाल ही में बीएसएनएल ने एक बड़ा फैसला किया है जिसके अंतर्गत बीएसएनएल के कर्मचारियों को वेतन के अतिरिक्त लाभ नहीं मिलेंगे।
बीएसएनएल की है यह योजना :
हाल ही में पेश की गयी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य-संचालित दूरसंचार बीएसएनएल ने कर्मचारी लाभ को कम कर दिया है और मौजूदा बाजार परिदृश्य में खुद को बनाए रखने के लिए खर्च में भारी कटौती करने के विभिन्न उपाय ढूंढ रहा है।
पिछले साल भी बीएसएनएल ने ऐसे लाभों में कटौती करके करीब 2500 करोड़ रूपए बचाए थे। इस साल भी इसकी समान ही कुछ योजना है। बतादें की बीएसएनएल के कुल 1.8 लाख कर्मचारी है जिससे इसका अनुमानित वार्षिक खर्च 15000 करोड़ हो जाता है। वर्तमान में कर्मचारी लाभों में कटौती करके इसने करीब 625 करोड़ रूपए बचाए हैं।
बीएसएनएल के चेयरमैन का बयान :
बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने डीएनए मनी से कहा, “हम बिजली, प्रशासनिक खर्चों में कटौती कर रहे हैं और अपने कर्मचारी लाभों को फ्रीज कर रहे हैं। फिलहाल, हम कोई एलटीसी (यात्रा रियायत लाभ) आदि नहीं दे रहे हैं। चिकित्सा के खर्चों पर भी नियंत्रण किया जा रहा है।
उन्होंने ऐसा किये जाने के पीछे यह कारण बताया की कर्मचारियों के लाभों में कटौती करके हम वोलंटरी रिटायरमेंट स्कीम के लिए पैसे बचा रहे हैं। इसके लिए लगभग 13000 करोड़ की लागत आने का अनुमान है।