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    बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब शिक्षक फिरोज खान के पक्ष में आखाड़ा परिषद भी उतर आया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने छात्रों से अपील की है कि शिक्षक के साथ कदम मिलाकर वे चलें और उनका सहयोग करें।

    महंत ने कहा, “गुरुकुल परंपरा में भी खास वर्ग के लोगों का चयन हुआ करता था, जो कि उचित भी था। लेकिन आज भारत 21वीं सदी प्रवेश कर गया है। अब यहां पर हर धर्म हर मजहब के लोग हर भाषा का ज्ञान रखते हैं और उनका संवैधानिक अधिकार भी है।”

    उन्होंने कहा, “ऐसे में अगर मुस्लिम प्रोफेसर संस्कृत पढ़ा रहा है तो यह हमारे लिए और अच्छी बात है। हमें उनका विरोध नहीं करना चाहिए। बल्कि हमें उनका स्वागत करना चाहिए, क्योंकि एक मुस्लिम होकर संस्कृत भाषा का प्रोफेसर है, जो हमारे लिए और अच्छी बात है।”

    ज्ञात हो कि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर डॉ़ फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर छात्र पिछले 16 दिनों से धरने पर बैठे हैं। इस मामले में अब राजनीतिक दल भी कूद पड़े हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर फिरोज खान का समर्थन किया है। वहीं गुरुवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर और भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी ट्वीट किया है। भाजपा के पूर्व सांसद परेश रावल ने बुधवार को ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया में फिरोज खान का समर्थन किया।

    भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ट्वीट कर इस मामले पर अपने विचार रखे हैं। उन्होंने लिखा है कि “क्या मुझे बता सकते हैं क्यों बीएचयू के कुछ छात्र मुस्लिमों को संस्कृत पढ़ाने का विरोध कर रहे हैं, जब उन्हें नियत प्रक्रिया द्वारा चुना गया है? भारत के मुस्लिमों का डीएनए हिंदुओं के पूर्वजों जैसा ही है। यदि कुछ नियम है तो इसे बदल दें।”

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