चीन ने नेपाल और पाकिस्तान के द्वारा बीआरआई की परियोजना को दरकिनार करने वाली भारत की रिपोर्ट को खारिज किया है। दोनों राष्ट्रों में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट और चीनी फंडेड बाँध के निर्माण को रद्द करने की रिपोर्ट को भी खारिज किया है। भारत के एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक “बीजिंग की अस्वीकृत शर्तों के कारण काठमांडू और इस्लामाबाद बीआरआई परियोजना से पल्ला झाड़ने की जुगत में हैं।”
बीजिंग के सदाबहार दोस्त पाकिस्तान ने डीअमेर-भाषा बाँध के निर्माण को रद्द कर दिया था और नेपाल ने 750 मेगावाट के हाइड्रोपावर प्रोजक्ट के कार्य को भी रोक दिया था। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि “मीडिया में जारी उपरोक्त प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी गलत है।”
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान में बाँध प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल नहीं था और नेपाल में हाइड्रोपावर प्लांट पर बातचीत अभी जारी है। चीन की हारबर इंजीनियरिंग कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की खबर भी गलत है। कंपनी द्वारा बांग्लादेश में सरकारी अधिकारीयों को घूस देने की खबर प्रकाशित हुई थी।
चीन ने चीन-पाक आर्थिक गलियारे पर 60 अरब डॉलर का निवेश किया है। भारत इस परियोजना का विरोध करता है क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर होकर गुजरेगी। चीनी प्रवक्ता ने कहा कि “सभी प्रोजेक्टों पर बराबर बातचीत चल रही है और कुछ चुनौतियाँ आने से यह तथ्य नहीं बदल जायेगा कि बीआरआई ने आर्थिक विकास में सकारात्मक भूमिका निभाई है।”
उन्होंने कहा कि “हम बाजार के सिद्धांत और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन कर रहे हैं, हम कभी अपनी इच्छा दूसरे पर नहीं थोपेंगे और इसमें कोई अस्वीकृत शर्ते शामिल नहीं है।” चीन का मकसद एशिया, यूरोप और अफ्रीका को हाईवे के माध्यम से जोड़ना है। इस प्रोजेक्ट के तहत 65 देशों में एक ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया जायेगा। चीन के मुताबिक यह प्रोजेक्ट पूरी तरह आर्थिक है। भारत को भय है कि चीन उसके पडोसी देशों पर कर्ज का बोझ डालकर उन्हें कर के दलदल में फंसा देगा।