चीन की महत्वकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की वैश्विक जगत में काफी आलोचना हो रही है। चीन ने गुरूवार को कहा कि “अमेरिका द्वारा बीआरआई की लगातार निंदा से परेशान हो चुके हैं।” उन्होंने दावा किया कि 150 से अधिक देशों ने इस महत्वकांक्षी परियोजना को समर्थन दिया और भरोसा जताया है।
बीआरआई के प्रति अमेरिका का रवैया आलोचनात्मक रहा है। अमेरिका ने हाल ही में विश्व को बीआरआई प्रोजेक्ट की लूटेरे वित्त के प्रति सावधान किया था और कहा कि चीन का मकसद वैश्विक प्रभुत्व में विस्तार और भारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का निर्माण करना है।
अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने हाल ही में ब्रिटेन और फ़िनलैंड की यात्रा के दौरान बीआरआई परियोजना की जमकर आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि “बीआरआई परियोजना देशों की सम्प्रभुता को नज़रअंदाज़ कर रही है और ब्रितानी हुकूमत को इसके प्रति सजग रहने की सलाह दी है।”
माइक पोम्पिओ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मीडिया से कहा कि “अमेरिका द्वारा आलोचना के बावजूद बीआरएफ के दूसरे सम्मेलन में 150 देशों और 92 अंतर्राष्ट्रीय संघठनो से 6000 अधिकारीयों ने प्रतिनिधित्व किया था।”
उन्होंने कहा कि “सम्मेलन में भारी तादाद बीआरआई की सफलता की को रेखांकित करती है। इसमें समारोह में अमेरिका के 20 से अधिक प्रतिभागियों ने भी हिस्सा लिया था।” इस सम्मेलन का भारत, अमेरिका और भूटान ने बहिष्कार किया था।
गेंग ने कहा कि “इस भव्य सम्मेलन में इतने सारे देशों की मौजूदगी बीआरआई के प्रति अंतरार्ष्ट्रीय समुदाय के समर्थन और विश्वास को प्रदर्शित करती है और अमेरिका की करतूतों और बयानों का एकदम सटीक जवाब है। अमेरिका के कुछ लोग दोबारा वही पुराण गेम खेल रहे हैं और बीआरआई की झूठी आलोचना कर रहे हैं। हम इससे परेशान हो चुके हैं।”
उन्होंने कहा कि “मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूँ कि मनगढंत कहानी गढ़ने और इसे फ़ैलाने में अपनी दक्षता का अधिक अंदाजा न लगाए। साथ ही दूसरे के निर्णय को नज़रअंदाज़ न करें।”
फ़िनलैंड की यात्रा के दौरान माइक पोम्पिओ ने कहा कि “चीन बीआरआई के जरिये राष्ट्रीय सुरक्षा के इरादों को अंजाम दे रहा है। अमेरिकी प्रशासन वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है जिसमे चीन की लूटेरी नीति के बाबत देशों को सूचना दी जा रही है। बीआरआई को पारदर्शी होने की जरुरत है।”
उन्होंने कहा कि “यह खुले और मुक्त मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। यह इस विचार से नहीं हो सकता कि आप किसी देश को कर्ज दे और उसकी घरबंदी कर दे ताकि आप वहां अपने लिए एक बंदरगाह का निर्माण कर सके। यह सही नहीं है।” भारत ने इस चीन-पाक आर्थिक गलियारा परियोजना का विरोध किया है क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगी।