नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)| बिहार के मधेपुरा जिले के सरसी गांव निवासी शिवपाल यादव ने पिछले फसल बुवाई सीजन 2018-19 (जुलाई-जून) में जब अपनी कुछेक एकड़ जोत की भूमि में गेहूं के बदले मक्के की फसल लगाई थी तो वह नहीं जानते थे कि यह उनके लिए इतना लाभकारी खेती साबित होगी। दरअसल, पशुचारे के लिए मक्के की जबरदस्त मांग के कारण कीमतों में पिछले साल के बनिस्बत तकरीबन दोगुना उछाल आया है।
शिवपाल ने बताया कि पिछले साल जहां 900 रुपये प्रति कुंटल में भी व्यापारी मक्का खरीदने के लिए तैयार नहीं होते थे, वहीं इस बार 1,700-1,800 रुपये प्रति कुंटल का भाव मिल रहा है।
देश में मक्के की सबसे बड़ी अनाज मंडी में शुमार बिहार के पुर्णिया जिला स्थित गुलाब बाग मंडी में बुधवार को सामान्य क्वोलिटी का मक्का 1,800-1,825 रुपये प्रति कुंटल बिक रहा था। वहीं, अच्छी क्वालिटी का मक्का प्रमुख कंपनियां 1,800 रुपये प्रति कुंटल खरीद रही थीं।
गुलाब बाग के अनाज कारोबारी अरुण कुमार ने बताया कि पशुचारे में इस बार मक्के की जबरदस्त मांग है, इसलिए भाव तेज है। मंडी सूत्रों ने बताया कि रोजाना 100 ट्रेलर से ज्यादा मक्के की आवक रहती है और इस समय खरीददारी जोरों पर है।
मक्के की फसल सबसे ज्यादा खरीफ में होती है, लेकिन रबी सीजन में सबसे ज्यादा मक्के की पैदावार बिहार में होती है। देश के विभिन्न भागों में पशुचारा व अन्य खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों को बिहार से सड़क व रेलमार्ग से मक्के की आपूर्ति की जाती है।
मंडी सूत्रों के अनुसार, दिल्ली और हरियाणा की पानीपत की मंडियों में मक्के का भाव 2,200-2,250 रुपये प्रति कुंटल है। वहीं, राजस्थान की मंडियों में मक्का 1,800-2,200 रुपये प्रति कुंटल बिक रहा है।
कृषि उत्पादों का देश का सबसे बड़ा वायदा बाजार नेशनल कमोडिटी एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर बुधवार को मक्के के जून डिलीवरी अनुबंध में पिछले सत्र से पांच रुपये की कमजोरी के साथ 1,945 रुपये प्रति कुंटल पर कारोबार चल रहा था, जबकि पिछले साल वायदे मक्के का भाव 20 जून 2018 को 1,136 रुपये प्रति कुंटल था।
केंद्रीय कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से 28 फरवरी को फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के लिए जारी दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, देशभर में मक्के का कुल उत्पादन 278 लाख टन है, जबकि पिछले साल दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान में 287 लाख टन था। हालांकि रबी सीजन में मक्के का उत्पादन इस साल 75.8 लाख टन है, जबकि पिछले साल 75 लाख टन था।
पिछले साल के मुकाबले मक्के का उत्पादन इस साल कम होने और पशुचारे के लिए मांग बढ़ने के कारण कीमतों में तेजी आई है, जिससे किसानों के लिए मक्के की फसल फायदे का सौदा साबित हुई है।