राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव पर उनके साले साधू यादव और सुभास यादव ने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को नज़र अंदाज कर छोटे बेटे तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी बनाने का आरोप लगाया।
लालू यादव के मुख्यमंत्री रहने के दौरान राज्य में साधू यादव और सुभाष यादव का दबदबा चलता है। लालू यादव के बाद जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं तो सत्ता अप्रत्यक्ष रूप से साधू और सुभाष का ही दबदबा चलता था।
दोनों राजद के टिकट पर संसद भी थे लेकिन बाद के सालों में लालू यादव के परिवार से उनकी दूरियां हो गई और पार्टी से भी उन्हें बहार कर दिया गया।
एक क्षेत्रीय समाचार चैनल से अलग से बात करते हुए, साधु यादव और सुभाष यादव ने तेजप्रताप और तेजस्वी के बीच वर्चस्व के लिए कथित संघर्ष के लिए लालू यादव को जिम्मेदार ठहराया।
गौरतलब है कि पिछले साल ही राजद ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। लालू यादव के जेल जाने के बाद तेजस्वी ही पार्टी का पूरा कार्यभार संभाल रहे हैं। बीते दिनों तेज प्रताप ने कहा था कि तेजस्वी अर्जुन हैं और वो कृष्ण बन कर उनको रह दिखाएँगे।
साधू ने कहा यह उनकी (लालू की) तेजस्वी के प्रति अत्यधिक उत्कंठा थी, जिसके चलते उन्होंने अपने बड़े बेटे को एक साइड कर दिया। लेकिन बड़े होने के नाते तेज प्रताप का भी हक है कि उसे कुछ मिलना चाहिए।
इसी तरह के विचार सुभाष यादव ने भी रखे। उन्होंने कहा “मैंने सुझाव दिया था कि बिहार में राजद के जीतने की स्थिति में, भाइयों में से एक को सरकार का नेतृत्व करना चाहिए जबकि दूसरे को पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए।”
साधु यादव ने हाल ही में एक पुलिस स्टेशन में तेजप्रताप द्वारा आयोजित एक धरने में उपस्थिति दर्ज कराई, जिससे अटकलें लगाई गईं कि पारिवारिक झगडे में मामा बड़े भांजे का पक्ष ले रहे हैं।