बिहार में 34,559 जल निकायों (जलस्रोतों) और 19,739 सड़कों पर वर्षो से अतिक्रमण है। इसका खुलासा हाल में सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वे में किया गया है। सरकार ने अब इन अतिक्रमणों को हटाने की पहल शुरू कर दी है। बिहार के भूमि और राजस्व विभाग ने हाल ही में सभी प्रक्षेत्रों के आयुक्तों और जिलाधिकारियों को जल निकायों और सड़कों से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं।
बिहार सरकार ने जल जीवन हरियाली अभियान के तहत पहले से ही जल निकायों को पुनर्जीवित करने का काम प्रारंभ कर दिया है। इसके तहत विशेष अभियान चलाकर तालाब और कुंए से अतिक्रमण हटाने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं।
इस अभियान के तहत तालाबों, आहर-पाइन की उड़ाही, पौधे लगाना, रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ ही इलाकों तक नदियों का पानी पहुंचाना है। इसके लिए पहले चरण में तालाब, आहार-पाइन और कुंओं को चिह्न्ति किया गया है और उसकी सफाई कराई जाएगी, जिन जल स्रोतों पर लोगों ने कब्जा कर लिया गया है, उन्हें अतिक्रमणमुक्त कराया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक दशक में राज्य में भूजल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। कहा जाता है कि राज्य में 10 से 200 फीट तक भूजल स्तर नीचे चली गई है।
लोक शिकायत निवारण अधिनियम, 2015 के तहत ऐसे अतिक्रमण के अधिकांश मामले सामने आए थे, जिसके बाद सरकार जगी थी और सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था।
सर्वेक्षण के बाद भूमि और राजस्व विभाग को सौंपी गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि राज्य भर में 1,48,231 जल निकायों में से 34,559 का अतिक्रमण किया गया था।
बिहार के भूमि और राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह इस संदर्भ में पूछने पर कहते हैं, “विभाग ने अतिक्रमण की जानकारी के लिए एक टीम का गठन किया है, जो इसका अध्ययन भी कर रही है। छोटानागपुर क्षेत्र से निकलने वाले जलस्रोत और वर्षो से बह रही नदियां अपना रास्ता बदलती रहती है और लोग उसी जगह जाकर बस जाते हैं। इस सर्वेक्षण में ऐसे भूखंड भी सामने आए हैं।”
सिंह कहते हैं कि इस पर विभाग कानूनी तौर पर भी राय ले रही है।