बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जगदानंद सिंह का पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनना तय है। अब 27 नवंबर को सिर्फ इसकी औपचारिक घोषणा ही शेष है। जगदानंद के अध्यक्ष बनने के बाद यह तय है कि राजद अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में राजद इनके नेतृत्व में ही चुनावी मैदान में उतरेगी।
कहा जा रहा है कि राजद ने पहली बार सवर्ण के राजपूत जाति से आने वाले जगदानंद को अध्यक्ष बनाकर ना केवल अपने ऊपर लगे पुराने दाग-धब्बों को धोने की कोशिश की है, बल्कि ‘सवर्ण कॉर्ड’ भी चल दिया है।
राजद की पहचान अब तक माई (मुस्लिम, यादव) समीकरण के वोट बैंक की मानी जाती रही है, लेकिन राजद के रणनीतिकारों ने राज्य संगठन के शीर्ष पर सवर्ण को विराजमान कर नई चुनावी राजनीति के संकेत दे डाले हैं।
राजद के वर्ष 1997 में गठन के बाद से भले ही अब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में संस्थापक लालू प्रसाद बने हुए हैं, लेकिन बिहार प्रदेश अध्यक्ष बदलते रहे हैं। हालांकि राजद में अब तक प्रदेश अध्यक्ष के पद पर किसी भी सवर्ण को नहीं बिठाया गया था।
राजनीति में लालू प्रसाद की पहचान सवर्ण विरोधी की रही है। ऐसे में इस तस्वीर को बदलने की मांग पार्टी में दबी जुबान से ही सही, मगर बराबर उठती रही थी। राजद के रणनीतिकारों ने लालू के सबसे विश्वासी नेता जगदानंद के नाम पर यह दांव खेला है।
राजद के नेता हालांकि इसे जाति और वोट बैंक से जोड़कर देखने की बात को नकारते हैं। राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि स्थापना काल से सिंह पार्टी से जुड़े हैं। पार्टी अगले साल होने वाले चुनाव में पार्टी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प ले चुकी है। ऐसे में अगले चुनाव में सिंह के अनुभव, सामाजवादी चेहरा का लाभ पार्टी को मिलेगा।
उन्होंने इसे जाति से जोड़ने से इनकार करते हुए कहा कि राजद हमेशा से ही समावेशी विकास और सबका साथ की ना केवल बात करती है, बल्कि उसका पालन भी करती है।
राजद के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि राजद की वर्तमान परिस्थिति में इसके अलावा कोई उपाय नहीं था। सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण के विरोध किए जाने से राजद की किरकिरी हो चुकी थी। यही कारण है कि राजद ने सिंह के जरिए इस कलंक को धोने की कोशिश की है।
इधर, राजद के सूत्र कहते हैं कि राजद में आंतरिक रूप से सवर्ण को ऊंचे पदों पर बैठाने की कवायद काफी दिनों चल रही थी। सवर्ण विरोधी तस्वीर को धूमिल करने की इस पहल की शुरुआत मनोज झा को राज्यसभा भेजे जाने के समय से ही शुरू कर दी थी।
इधर, पटना के वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह भी कहते हैं कि राजद के सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण का विरोध के बाद उभरी सवर्ण विरोधी छवि से छुटकारा चाहती है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि सिंह की छवि ‘ईमानदार नेता’ की रही है तथा पार्टी के वरिष्ठतम ऐसे सदस्यों में शामिल है, जिनकी बात सभी कार्यकर्ता सुनते हैं और कार्यकर्ताओं की बात ये भी सुनते हैं। ऐसे में पार्टी ने सिंह को अध्यक्ष बनाने की पहल की।
जगदानंद सिंह ने सोमवार को पार्टी की ओर से अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा है। सिंह एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने नामांकन का पर्चा दाखिल किया है। ऐसे में उनके निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना तय है। हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा 27 नवंबर को होगी।