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    कुशवाहा शरद यादव

    बिहार एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर तूफ़ान थम नहीं रहा है। भाजपा और जेडीयू के बीच बराबर बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने के समझौते से खफा रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आज दिल्ली में ‘लोकतांत्रिक जनता दल’ के अध्यक्ष शरद यादव से मुलकात की।

    पूर्व जेडीयू नेता शरद यादव ने 2017 में नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़ वापस एनडीए में लौटने से खफा होकर जेडीयू छोड़ अपनी अलग पार्टी का गठन कर लिया था।

    इन दिनों बिहार की राजनीति में एनडीए के दो सहयोगी पार्टियों रालोसपा और जेडीयू में घमासान अपने चरम पर है। नीतीश के वापस एनडीए में लौटने से रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा महसूस करते हैं कि भाजपा ने उन्हें दूर कर नीतीश से करीबी बढ़ा ली है जबकि उन्होंने तब भाजपा का साथ दिया था बिहार में जब नीतीश ने एनडीए का दामन छोड़ दिया था।

    सोमवार को दिल्ली में शरद यादव से मुलाक़ात के बाद कुशवाहा ने कहा कि ये एक शिष्टाचार वश मुलाक़ात थी। और इस मुलाक़ात में बिहार के मौजूद राजनितिक हालात पर भी चर्चा हुई।

    गौरतलब है कि शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल अब महागठबंधन का हिस्सा है।

    पिछले महीने इसी प्रकार कुशवाहा ने राजद नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात कर बिहार के सियासी गलियारे में बनते नए समीकरणों को हवा दे दिया था। हालाँकि बाद में कुशवाहा ने कहा था कि ये एक संयोगवश मुलाक़ात थी और वो एनडीए में ही है और रहेंगे।

    एनडीए में कुशवाहा की नाखुशी के बीच अक्सर राजद की तरफ से उन्हें महागठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

    कल रविवार को कुशवाहा और नीतीश के बीच राजनैतिक लड़ाई उस वक़्त चरम पर पहुँच गई जब कुशवाहा ने नीतीश पर अपनी पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाया था। जब से नीतीश वापस एनडीए में लौटे हैं तब से कुशवाहा अक्सर नीतीश सरकार पर हमलावर रहे हैं।

    2014 के लोकसभा चुनाव में बिना नीतीश के एनडीए ने 40 में से 31 सीटें जीती थी। कुशवाहा की पार्टी रालोसपा ने 3 सीटों पर चुनाव लड़कर तीनो सीटें जीती थी। अब जबकि नीतीश की पार्टी जेडीयू एनडीए में वापस आ चुकी है तो कुशवाहा नीतीश के लिए अपनी सीटें कुर्बान करने को तैयार नहीं हैं।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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