बिहार एनडीए में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा हो गया और साथ इसी के साथ बिहार एनडीए मची उथल पुथल भी थम गई। रविवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दिल्ली स्थित आवास पर जेडीयू और लोजपा नेताओं की बैठक के बाद तय हुआ कि बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से भाजपा और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जबकि लोक जनशक्ति पार्टी के हिस्से में 6 सीटें आई है। रामविलास पासवान भाजपा के कोटे से राज्यसभा में जायेंगे।
पिछले कई महीनों से बिहार में एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ था। 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए में बस तीन ही पार्टियाँ थी -भाजपा, लोजपा और राष्ट्रीय लोक्समता पार्टी। 2014 में नीतीश कुमार की पार्टी एनडीए से अलग थी और अकेले चुनाव में उतरी थी। लेकिन अब जेडीयू फिर एनडीए के साथ हैं। जेडीयू किसी भी कीमत पर भाजपा से कम सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी।
जेडीयू के लिए जगह बनाने हेतु एनडीए के बाकी दलों को अपने हिस्से की सीटें कुर्बान करनी पड़ती जिसके लिए रालोसपा तैयार नहीं थी। इसी बीच भाजपा और जेडीयू ने बराबर बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने का समझौता कर लिया जीके बाद रालोसपा अपने हिस्से की सीटें बढाने की मांग करने लगी और अंततः रालोसपा ने एनडीए से नाता तोड़ महागठबंधन का दामन थाम लिया।
इसी बीच भाजपा ने विधानसभा चुनावों में अपने तीन राज्य गँवा दिए जिसके बाद लोजपा ने भाजपा पर दवाब बनाना शुरू कर दिया। अमित शाह अब किसी भी स्थिति में अपने सहयोगी को नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहते थे जिसके बाद लोजपा की शर्तें मानते हुए सीट बंटवारा हुआ।
सीट बंटवारे के बाद अमित शाह, नीतीश कुमार और रामविलास पासवान ने साझे प्रेस कांफ्रेंस में इसी घोषणा की।
राम मंदिर मुद्दा एनडीए का एजेंडा नहीं
प्रेस से बात करते हुए राम मंदिर के सवाल पर नीतीश ने कहा कि राम मंदिर का मुद्दा या तो कोर्ट के फैसले से हल होना चाहिए या आपसी सहमती से। इस बयां से ये संकेत मिलता है कि अगर भाजपा मंदिर निर्माण के लिए संसद में बिल लाएगी तो जेडीयू का समर्थन उसे नहीं मिलेगा।
जेडीयू अध्यक्ष ने कहा “इस मुद्दे पर सभी पार्टियों का अपना अपना मत है लेकिन जेडीयू का लम्बे समय से यही मानना है कि मंदिर मुद्दा या तो कोर्ट के जरिये हल हो सकता है या आपसी सहमती से।”
लोजपा नेता ने भी हाल ही में कहा है कि मंदिर मुद्दा भाजपा का एजेंडा हो सकता है लेकिन एनडीए के एजेंडे में इसका कोई जिक्र नहीं है और ये एनडीए का एजेंडा नहीं है। चिराग ने कहा था कि भाजपा को किसी भी नुकसान से बचने के लिए विकास के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। मंदिर मुद्दे के बिना, विकास के मुद्दे पर भी भाजपा ने 2014 में चुनाव जीता है।