Mon. Dec 23rd, 2024
    नीतीश कुमार बिहार

    नीतीश कुमार के वापस एनडीए में लौटने के बाद से बिहार के 40 लोकसभा सीटों के लिए एनडीए का गणित उलट पुलट गया है। भाजपा और जेडीयू ने बारबार -बराबर सीटों पर लड़ने का ऐलान दिल्ली में कर दिया लेकिन बिहार में अपने दो छोटे सहयोगियों से पूछना भूल गई।

    2014 में बिहार एनडीए में सिर्फ 3 पार्टियां थी, भाजपा के अलावा रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी। 40 सीटों में से भाजपा ने 30 सीटों पर लड़कर 22 जीती जबकि लोजपा ने 7 सीटों पर लड़कर 6 सीटें अपने खाते में की और रालोसपा ने अपनी सभी तीनों सीटें जीत ली।

    अब 2019 लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश की एनडीए में वापसी हो गई है। बिहार में सीटें उतनी है लेकिन एक बड़ी पार्टी के जुड़ने से बाकी दो छोटी पार्टियां को अपना हिस्सा कम होने का डर सताने लगा है। ये डर तब और पुख्ता हो गया जब दिल्ली में अमित शाह और नीतीश कुमार ने बिहार में बराबर बराबर सीटों पर लड़ने की घोषणा कर दी।

    नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री है और उनकी पार्टी अब तक बिहार में बड़े भाई की भूमिका निभाती आई है। इस बार वो किसी भी कीमत पर अपना ये ओहदा छोड़ने को तैयार नहीं थे। पिछली बार अकेले लड़ कर जेडीयू ने सिर्फ 2 सीटें जीती थी।  जाहिर सी बात है कि ऐसे में अपने जीते 22 सीटों में से भाजपा को ही अपने सीटों की कुर्बानी देनी होगी।

    एक भाजपा नेता ने नाम न लिखने की शर्त पर मीडिया को बताया कि भाजपा कुछ जीती हुई सीटें छोड़ेगी, कुछ के क्षेत्र बदलेंगे और कुछ सीटों का सहयोगियों के बीच अदला-बदली होगी।

    भाजपा और जेडीयू के बीच गणित अगर 17-17 सीटों का बनता है तो बाकी बची 6 सीटों में से पासवान की लोजपा को 4 और कुशवाहा की रालोसपा के हिस्से में 2 सीटें आएँगी। लोजपा और रालोसपा अपनी सीटें कम करने को तैयार नहीं है। भाजपा के एक नेता ने बताया कि इस फॉर्मूला पर आगे बढ़ने के लिए और लोजपा को मनाने के लिए लोकसभा की सीटें छोड़ने के एवज में राजसभा की एक सीट दी जा सकती है। इस ओर लोजपा नेता चिराग पासवान भी इशारा कर चुके हैं कि 72 वर्षीय पासवान की अस्वस्थता को देखते हुए उन्हें राजसभा जाना चाहिए।

    राजयसभा में अगले साथ जुलाई तक भाजपा शासित असम में 2 सीट और तमिलनाडू में 6 सीट खाली हो रही हैं।

    अगर पासवान हाजीपुर से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ते तो उनकी जगह पर उनके पुत्र और जमुई से वर्तमान संसद चिराग पासवान चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में जमुई से एक नए उम्मीदवार की आवश्यकता होगी।

    पासवान के भाई रामचंद्र पासवान समस्तीपुर से संसद हैं और वो अपनी सीट बनाये रखना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में लोजपा मुंगेर और वैशाली सीट छोड़ सकती है ताकि नीतीश की पार्टी के लिए जगह बनाई जा सके।

    भाजपा के सूत्रों के अनुसार भाजपा से निष्काषित दरभंगा से संसद कीर्ति आज़ाद और बगावती तेवर लिए घूम रहे शत्रुधन सिन्हा को पार्टी पटना साहिब से टिकट नहीं देगी ऐसी स्थिति में पटना साहेब सीट भाजपा के पास रहेगी जबकि दरभंगा जेडीयू को दी जा सकती है।

    इसके अलावा तीन सांसद ऐसे हैं जो अपनी सीट बदलना चाहते हैं। इनमे नवादा से भाजपा सांसद गिरिराज सिंह बेगूसराय से लड़ने को इच्छुक है जहाँ के सांसद भोला सिंह का निधन हो था पिछले महीने। तो वहीँ बक्सर से सांसद अश्विनी चौबे अपना होम टाउन भागलपुर चाहते हैं। भागलपुर से लड़ने के लिए शाहनवाज हुसैन भी लाइन में हैं। शाहनवाज 2014 में भागलपुर से हार गए थे।

    आने वाले चुनाव में बिहार में काफी परिवर्तन देखने को मिलेगा। लालू और पासवान ने अपनी अगली पीढ़ी को जिम्मेदारी सौंप दी तो कुछ ऐसे अधिकारी जो नए नए राजनीति में आये हैं, अपने लिए सुरक्षित सीट चाहते हैं।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *