पिछले कुछ समय से सरकार एवं रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के बीच मतभेद हैं। हाल ही में इस मतभेद को ख़त्म करने के लिए एक नयी टीम का गठन किया है। यह इस फैसले के लिए है की आरबीआई को सरकार की बात माननी चाहिए या नहीं।
इस मतभेद के चलते पिछले गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद शक्तिकांत दस को नया गवर्नर बनाया गया था। उन्होंने कई मीटिंग्स करी हैं एवं उसके बाद एक नयी टीम का गठन किया है।
किस बात पर था मतभेद ?
इस साल में सरकार ने आरबीआई से उसके रिज़र्व में से 3.6 लाख करोड़ रूपए मांगे थे। सरकार के अनुसार आरबीआई के पास ज़रुरत से ज्यादा रिज़र्व हैं। ऐसा होने पर आरबीआई ने फरमाइश को ठुकरा दिया था। इससे उनके एवं सरकार के बीच मतभेद हो गया था उन्होंने कहा था की यह किसी इमरजेंसी के लिए है।
सरकार ने यह नहीं माना एवं कुछ हद तक आरबीआई के साथ जबरदस्ती की गयी थी। इसके चलते उस समय आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया था। इसके तुरंत बाद पूर्व नौकरशाह शक्तिकांत दस को नया गवर्नर नियुक्त किया गया था। सरकार को आशा थी की वे सरकार की शर्तों को मानेंगे।
गठित टीम के बारे में जानकारी :
रिज़र्व बैंक ने इस टीम के गठन का फैसला एक महीने से भी पहले लिया था। इसके बाद मत्भेओं के कारण ये संभव नहीं हो सका। उसके बाद अब दोनों पक्ष एक शांतिपूर्वक फैसला लेना चाहते हैं इसलिए टीम गठन की मंजूरी हुई है। यह फैसला लेगी की बैंक सरकार को अपने रिज़र्व में से रूपए देगा या नहीं।
समिति में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन भी शामिल हैं। रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि समिति के अन्य सदस्यों में भरत दोषी और सुधीर मांकड़ भी शामिल हैं। दोनों केंद्रीय बैंक के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य हैं। यह समिति केंद्रीय बैंक की आर्थिक पूंजी रूपरेखा पर सुझाव देगी।
विशेषज्ञों का सुझाव :
सरकार की मांग के बारे में विशेषज्ञों का कहना है की यदि इस कमी को यदि आरबीआई के रिज़र्व में से पूरा किया जाता है तो ये एक अच्छी योजना नहीं होगी। इससे आरबीआई पर किसी इमरजेंसी के लिए पैसे नहीं होंगे एवं यदि भविष्य में किसी भी प्रकार का खतरा हो सकता है।
हालांकि जिस टीम का गठन किया है उसका बयान आना बाकी है।