पटाखों के मामले में CSIR (काउंसिल ऑफ साईंटिफ़िक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक तरह का पटाखा पेश किया है, जिसके ‘ग्रीन क्रैकर’ कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि इन पटाखों से किसी भी तरह का कोई प्रदूषण नहीं होगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार ये पटाखे बहुत ही कम मात्र में ध्वनि उत्सर्जन करते हैं, इसी के साथ ये वातावरण में फैले हुए प्रदूषण के छोटे कणों को भी अवशोषित कर लेते हैं, जिसके बाद इन पटाखों की वजह से प्रदूषण फैलने की जगह प्रदूषण कम होता है।
इसके लिए वैज्ञानिको ने इन पटाखों में जल के कणों का भी इस्तेमाल किया है, जिसके चलते आसमान में प्रदूषण के छोटे कण भी भारी होकर जमीन पर आ जाएंगे।
इसी के साथ वैज्ञानिकों ने बताया है कि यदि लोग तैयार हैं, तो जल्द ही बाज़ार में इलेक्ट्रिक पटाखा भी लाया जा सकता है।
अभी हाल ही आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश में यह कहा गया था कि इस बार ‘बेहतर पटाखे’ या ‘ग्रीन पटाखे’ ही इस्तेमाल में लाये जाएँ।
इस प्रगति में शामिल एक वैज्ञानिक ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया है कि ये पटाखे हवा में जा कर विस्फोट के साथ में ही जल के कणों का उत्पादन करते हैं। इसके चलते वे प्रदूषण के छोटे कणों से मिलकर उन्हे भारी कर देते हैं, इसी के चलते प्रदूषण के छोटे कण भारी होकर जमीन पर आ जाते हैं।
इसी के साथ इन वैज्ञानिकों ने बताया है कि वो ऐसे भी प्रोटोटाइप के साथ तैयार हैं जो तेज आवाज व रंग बिरंगी रोशनी भी फैलाएँगे, लेकिन इन सब के बीच उनसे उत्सर्जित होने वाले प्रदूषण की मात्रा नगण्य रहेगी।