जम्मू और कश्मीर में भारतीय सेना को एक बड़ी उपलब्धि मिली है जब बुधवार को बारामूला, घाटी का पहला जिला बना जिसमे एक भी जीवित आतंकवादी नहीं है। ये सब, आखिरी दिन तीन आतंकवादियों को बिनर गाँव में सेना द्वारा मुठभेड़ में मारने के बाद हुआ।
पुलिस प्रवक्ता ने कहा-“बारामूला कश्मीर का ऐसा पहला जिला बन गया है, जिसमें कोई भी जीवित आतंकवादी नहीं है।जम्मू और कश्मीर पुलिस, जिले में एक बेहतर सुरक्षा वातावरण प्रदान करने के लिए स्थानीय आबादी को समर्थन देने के लिए धन्यवाद देती है।”
डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा-“कश्मीर को शांति की जरूरत है ताकि उसके लोग बेहतर कल का लाभ उठा सकें।”
दिन की शुरुआत में, जब सुरक्षा बलों को इन तीन आतंकियों के पाए जाने की सूचना मिली तो उन्होंने एक ऑपरेशन शुरू किया। उन मृत आतंकियों के नाम हैं-सुहैब फारूक अखून, मोहसिन मुश्ताक और नासिर अहमद दारजी, सभी ‘लश्कर-ए-तैयबा‘ से संबंधित हैं।
पुलिस ने कहा कि मारे गए तीनों आतंकवादी बारामूला और सोपोर इलाके में सक्रिय थे और उनके पास आतंकी अपराधों का लंबा इतिहास था, जिसके लिए उनके खिलाफ कई आतंकी मामले दर्ज थे।
उनके मुताबिक, “वे तीनों पिछले साल अप्रैल में तीन जवान लड़कों की बारामूला में हुई भीषण हत्या के लिए ज़िम्मेदार थे। समूह का एक आतंकी-अजाज़ अहमद गोजरी, जो इन लड़कों की हत्या में दोषी था, उसे पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था।”
पुलिस ने कहा कि तीनों दिसंबर 2017 और जनवरी 2018 में पुलिस स्टेशन बारामूला पर ग्रेनेड हमले सहित क्षेत्र में सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर कई आतंकी हमलों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने में शामिल थे।
उन्होंने कहा-“आतंकियों को आत्मसमर्पण करने के पर्याप्त अवसर दिए गए थे हालांकि उन्होंने चुपके से सुरक्षा बलों पर फायरिंग शुरू कर दी जिसमे तीनो की मौत हो गयी। ज़ाहिर है, सुरक्षा बलों के प्रयासों के कारण ये एक स्वच्छ ऑपरेशन था और मुठभेड़ के दौरान कोई संपार्श्विक क्षति नहीं हुई।”
हथियार और गोला बारूद जिसमे 3 AK 47 राइफल भी थी, मुठभेड़ स्थल से बरामद हुई। इन सभी वस्तुओं को सुरक्षित रखा गया है ताकी आगे की जाँच की जा सकें।