25 साल पहले आज के ही दिन 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या बाबरी मस्जिद को कारसेवको द्वारा गिराया गया था। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे जो भाजपा पार्टी के नेता थे। लेकिन कल्याण सिंह की सरकार ने बाबरी मस्जिद को गिरने से नहीं बचा सकी। जिससे की उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को इस गलती का खामियाजा भुगतना पड़ा। प्रदेश में भाजपा की सरकार गिर गई। फिर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी जैसे दलों को उभरने का मौका मिला। वो सूबे की सत्ता पर विराजमान हुए।
लेकिन 25 साल बाद सियासत ने ऐसी करवट ली कि एक बार फिर बीजेपी की सरकार उत्तर प्रदेश की सत्ता पर विराजमान है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो कि हिंदुत्व का एक चेहरा भी है। लेकिन इस बार प्रदेश में ही नहीं बल्कि केंद्र में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार विराजमान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। ऐसी परिस्थिति में भाजपा कोई बहाना नहीं बना सकती है।
भाजपा के लिए राममंदिर रामबाण के समान
राममंदिर मुद्दे को अपना मुख्य एजेंडा बनाकर भाजपा ने सियासत की ऊंचाइयों को छुआ है। राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत लालकृष्ण आडवाणी ने सितम्बर 1990 में सोमनाथ से लेकर मंदिर के लिए जनजागरण के द्वारा किया था। इसका फायदा यह हुआ कि अगले ही साल भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के सिंहासन पर स्थापित हो गई। लालकृष्ण आडवाणी के उस रथ यात्रा से भाजपा को सियासत की दुनिया में बहुत कामयाबी मिली थी। जो पार्टी आम चुनाव में 2 सीटों पर कायम थी, वहीं भाजपा ने इस मुद्दे के कारण 9 साल बाद 85 सीटें हासिल की। उसी समय से भारतीय जनता पार्टी का मुख्य एजेंडा राम मंदिर हो गया।
भाजपा सरकार के दौरान तोड़ी गई मस्जिद
राम मंदिर आंदोलन की वजह से 1991 में यूपी में भाजपा की सरकार स्थापीत हुई। प्रदेश का मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को बनाया गया। लेकिन भाजपा की सरकार बनने के बाद ही अगले साल बाबरी मस्जिद गिरा दी गई। उस दौरान कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे जिनको एक दिन की सजा भी हुई थी। बीजेपी को प्रदेश में सत्ता से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद बीजेपी को सत्ता में आने के लिए 25 साल लग गए।
प्रदेश की सत्ता से भाजपा बाहर और सपा बसपा अंदर
इन पच्चीस सालों में समाजवादी पार्टी और बसपा ने उत्तर प्रदेश में अपने आप को पूरी तरह कायम कर लिया। बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद 1993 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सपा और बहुजन समाजवादी पार्टी की घुलमिल सरकार बनी। लेकिन यह गठबंधन 1995 टूट गया, और मायावती ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनायी।
बता दे कि 1992 से लेकर 2007 तक उत्तर प्रदेश में जो भी सरकार बनी वह गठबंधन की सरकारें थी। तीन बार बीएसपी बीजेपी के साथ मिलकर यूपी के सिंहासन पर काबिज हुई। तो वहीं समाजवादी पार्टी ने रालोद और कई अन्य दल के साथ गठबंधन कर मुख्यमंत्री पद पर कब्ज़ा किया। 2007 में बसपा की सरकार सरकार बनी और 2012 में समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई।
बीजेपी की केंद्र में बनी सरकार
बीजेपी के हाथों से तब भले ही यूपी की सत्ता गई लेकिन केंद्र से लेकर कई राज्यों में पार्टी का विस्तार हुआ। 1997 में 13 दिन, 1998 में 13 महीना और 1999 में पांच साल के लिए बीजेपी की केंद्र में सरकार बनी। लेकिन भाजपा द्वारा बनाई गई सरकार गठबंधन की सरकार रही। इसी कारण बीजेपी ने राम मंदिर को अपने मुद्दे से हटा दिया और घोषणा पत्र से भी बाहर कर दिया। 2004 में कांग्रेस केंद्र सरकार पर काबिज हुई और 10 साल तक रही।
केंद्र और यूपी दोनों जगह बीजेपी की सरकार
2014 में भारतीय जनता पार्टी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आम चुनाव लड़ी और प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई। लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार बनते ही राम मंदिर को लेकर मोदी पर दबाव आने लगा। इसी बीच 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी में प्रचंड बहुमत हासिल कर 25 साल बाद सरकार में आई। अब देखा जा रहा है कि देश और प्रदेश दोनों जगह भाजपा की सरकार है। ऐसे में राम मंदिर बनाने का भी दबाव ज्यादा बढ़ गया है।
2019 से पहले राममंदिर
बीजेपी सुप्रीमकोर्ट में अयोध्या मामले की हर रोज सुनवाई कराने के पक्ष में है, ताकि इस मामले पर जल्द फैसला आ सके। उधर बीजेपी के नेता भी लगातार यही कह रहे है कि 2019 से पहले राम मंदिर का निर्माण होगा। लेकिन इसके अलावा उत्तर प्रदेश में जब से योगी सरकार आई है तब से अयोध्या राम मंदिर का कायाकल्प शुरू हो गया है। क्योकिं योगी सरकार अयोध्या में भगवान् राम की सबसे बड़ी मूर्ति की स्थापना करने जा रही है। यह सब देखने के बाद कहा जा रहा है कि अयोध्या राम मंदिर का कार्य शुरू हो गया है।