एक समय पाकिस्तान पर अपनी तानाशाही पकड़ रखने वाले सेवानिवृत्त जनरल परवेज मुशर्रफ का कहना है कि अपनी सारी जिंदगी उन्होंने पाकिस्तान की सेवा की और आज उन्हें ही संगीन राजद्रोह के मामले का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि उनके साथ बहुत ज्यादती हो रही है। राजद्रोह मामले में बार-बार तलब किए जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं होने वाले पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुशर्रफ ने कहा है कि वह अपना बयान दर्ज कराने के लिए तैयार हैं। मुशर्रफ अस्वस्थ होने के कारण दुबई में इलाज करा रहे हैं। पांच दिसंबर को उनके मामले की सुनवाई विशेष अदालत में होनी है। इससे पहले उनकी तबियत फिर अचानक काफी बिगड़ गई और उन्हें दुबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।
अस्पताल में अपने बेड से मुशर्रफ ने एक वीडियो संदेश जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा है, “मेरी तबियत शुरू से बहुत खराब है। मैं अस्पताल आता-जाता रहता हूं। इस बार यहां उठाकर लाया गया हूं।”
अपने खिलाफ दर्ज राजद्रोह मामले पर उन्होंने कहा, “यह केस मेरी नजर में बिलकुल बेबुनियाद है। गद्दारी तो छोड़ें, मैंने इस मुल्क के लिए जंगें लड़ी हैं और दस साल तक इसकी सेवा की है। इस केस में मेरी सुनवाई नहीं हो रही है। सिर्फ यही नहीं कि मेरी सुनवाई नहीं हो रही है बल्कि मेरे वकील को भी नहीं सुना जा रहा है। मेरी नजर में बहुत ज्यादती हो रही है और न्याय नहीं किया जा रहा है।”
मुशर्रफ ने कहा, “जो कमीशन बना है, वह यहां (दुबई) आए। मैं बयान देने के लिए तैयार हूं। वो यहां आएं और देखें कि मेरी तबियत कैसी है।”
गौरतलब है कि इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत ने मुशर्रफ को निर्देश दिया हुआ है कि वह संगीन राजद्रोह मामले में पांच दिसंबर 2019 को अपना बयान दर्ज कराएं।
विशेष अदालत ने मुशर्रफ को कई बार तलब किया था लेकिन वह पेश नहीं हुए थे। विशेष अदालत ने 19 नवंबर को मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी और कहा था कि वह 28 नवंबर को फैसला सुनाएगी। इसके बाद न केवल मुशर्रफ बल्कि पाकिस्तान की इमरान सरकार ने भी इस्लामाबाद हाईकोर्ट की शरण ली और विशेष अदालत को फैसला सुनाने से रोकने की अपील की। इनका कहना था कि अस्वस्थ होने के कारण मुशर्रफ मामले में अपना पक्ष नहीं रख सके हैं। उन्हें पक्ष रखने दिया जाए। इस पर इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने अदालत को फैसला सुनाने से रोक दिया और मामले की सुनवाई पांच दिसंबर से करने को कहा।
विशेष अदालत ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ही मानेगी और हाईकोर्ट के निर्देश उसके लिए मायने नहीं रखते। लेकिन, इसके साथ ही विशेष अदालत ने फैसला नहीं सुनाते हुए, एक बार फिर मुशर्रफ को पक्ष रखने का मौका देते हुए उन्हें पांच दिसंबर को अपना पक्ष रिकार्ड कराने का आदेश दिया था।
मुशर्रफ पर नवंबर 2007 में देश पर ‘आपातकाल थोपने और संविधान निलंबित’ करने का आरोप है। उनके खिलाफ मामला तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार ने दर्ज कराया था। इस मामले में दोष सिद्ध होने पर मौत की सजा तक मिल सकती है।