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    पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने के लिए मंजूरी दी है और शर्त लगाई है कि इस छह महीने के अंदर संसद, सेना प्रमुख के सेवा विस्तार व इससे जुड़े नियमों पर कानून बनाए।

    इस आदेश से पहले सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार के कामकाज पर कुछ तल्ख टिप्पणियां भी कीं। बाजवा के सेवा विस्तार मामले में सरकार की तरफ से दो अधिसूचनाएं जारी हुईं और दोनों में ही अदालत ने काफी खामियां पाईं। सुनवाई के दौरान ही साफ हो गया कि इस मामले में स्पष्ट नियम कानून मौजूद नहीं हैं।

    इस पर अदालत ने कहा कि यह मामला पहले उठा नहीं, अब उठा है तो इससे जुड़े कानून को खंगाला जाएगा। अदालत ने इस दौरान सख्ती दिखाते हुए जो टिप्पणियां की उनमें से कुछ निम्नवत हैं :

    –अभी तक हमें यह स्कीम ही नहीं समझ में आई कि किन नियमों के तहत सेवा विस्तार हुआ है।

    –देखते हैं बहस कब तक चलती है, अभी तो हम केस समझ ही रहे हैं।

    –अतीत में 6 से 7 जनरल सेवा विस्तार लेते रहे, किसी ने इस पर कुछ पूछा तक नहीं।

    –प्रधानमंत्री ने नई नियुक्ति कर दी, राष्ट्रपति ने सेवा विस्तार दे दिया। किसी ने (अधिसूचना को) पढ़ने तक की जहमत नहीं की।

    –लगता है कानून मंत्रालय ने बहुत मेहनत कर इस मामले को खराब किया है।

    –कानून मंत्रालय क्या ऐसे कानून बनाता है?

    –असिस्टेंट कमिश्नर को ऐसे तैनात नहीं किया जाता जैसे आप सैन्य प्रमुख को तैनात कर रहे हैं।

    –आपने आर्मी चीफ को शटल कॉक बना दिया है।

    –अगर ऐसी ही अधिसूचनाएं होती रहीं तो हमारे पास मुकदमों की भरमार हो जाएगी।

    –जाएं, दो दिन है, कुछ करें। सारी रात इकट्ठा होकर बैठे, कैबिनेट के दो सेशन हुए। हमने सोचा था कि इतने दिमाग बैठे हैं, लेकिन इतने विचार के बाद आप यह चीज लेकर आए हैं। हमारे लिए यह तकलीफ की बात है।

    –सरकार प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सलाह देने वालों और अधिसूचनाओं को बनाने वालों की डिग्रियां चेक करे।

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