बांग्लादेश ने सोमवार को देश के टेलिकॉम ऑपरेटरों को देश के दक्षिण-पूर्व में शिविरों में रह रहे लगभग दस लाख रोहिंग्या शरणार्थियों की मोबाइल फोन सेवाएं बंद करने का आदेश दिया है। हाल ही में इन इस शिविरों में हिंसा फैल रही है।
बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग के प्रवक्ता जाकिर हुसैन खान ने कहा कि “दूरसंचार ऑपरेटरों के पास शिविरों में नेटवर्क बंद करने के लिए की गई कार्रवाइयों पर रिपोर्ट देने के लिए सात दिन का वक्त हैं। उन्होंने कहा कि कई शरणार्थी मोबाइल फोन का इस्तेमाल शिविरों में कर रहे हैं। हमने ऑपरेटरों से इसे रोकने के लिए कहा है। यह फैसला सुरक्षा को देखते हुए किया गया है।”
पुलिस ने बताया कि शरणार्थियों के खिलाफ नशीले पदार्थों की तस्करी, हत्या, डकैती, गिरोह से लड़ने और पारिवारिक झगड़े के लगभग 600 मामले दर्ज किए गए थे। बांग्लादेश ने इससे पहले भी रोहिंग्या बस्तियों में मोबाइल फोन की पहुंच को प्रतिबंधित करने की कोशिश की थी।
रविवार को पुलिस ने कहा कि संदिग्ध रोहिंग्या अपराधियों ने स्थानीय सत्तारूढ़ पार्टी के अधिकारी उमर फारुख की हत्या कर दी थी। फारुक की हत्या के बाद 22 अगस्त को एक शरणार्थी शिविर की ओर जाने वाले राजमार्ग को अवरुद्ध करने के लिए सैकड़ों लोगों की उग्र भीड़ जमा हो गई थी।
साल 2017 में सैन्य बर्बर कार्रवाई के बाद म्यांमार के पश्चिमी प्रान्त रखाइन से 70000 से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम भागने पर मजबूर हो गए थे। म्यांमार वापस लौटने पर कई लोगो को अभी भी अपनी सुरक्षा का भय है क्योंकि वहां मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने दशकों से प्रताड़ना सही है।