बांग्लादेश की प्रधामंत्री शेख हसीना ने रोहिंग्या मुस्लिमों के प्रत्यर्पण पर अपने पक्ष को एक बार फिर दोहराया है और कहा कि “जबरन विस्थापित किये गए म्यांमार के नागरिकों को अपने वतन वापस लौटना ही होगा। बांग्लादेश में शरणार्थी रोहिंग्या मुस्लिमों को अपनी मातृभूमि म्यांमार के रखाइन राज्य में वापस जाना ही होगा।”
रोहिंग्या मसले पर बातचीत
शेख हसीना ने यह बात यूएई की स्टेट फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन की मंत्री राइम इब्राहिम से मुलाकात के दौरान कही थी। इस मुलाकात के बाद पीएम के प्रेस सचिव ने पत्रकारों को सम्बोधित किया था।
उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री ने यूएई की मंत्री को रोहिंग्या राज्य के मामले के बाबत संक्षेप में विवरण दिया था और कहा कि कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ बांग्लादेश सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद कर रही है। म्यांमार और बांग्लादेश के बीच इस मसले पर चर्चा जारी है और हमने प्रत्यर्पण के समझौते पर दस्तखत भी कर दिए हैं। लेकिन प्रत्यर्पण प्रक्रिया की शुरुआत होना अभी शेष है।”
ढाका की मदद
शेख हसीना ने कहा कि “बांग्लादेश की सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों को बेहतर सुविधाओं के साथ अस्थायी शिविरों के निर्माण के लिए एक द्वीप को विकसित कर रही है।” यूएई की मंत्री ने रोहिंग्या के मसले पर बांग्लादेश को समर्थन जारी रखने का आश्वासन दिया है।
उन्होंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के मानवीय सद्धभावना की सराहना की है क्योंकि उन्होंने 10 लाख से अधिक रोहिंग्या मुस्लिमों को सभी सुविधाओं के साथ बांग्लादेश में शिविरों में रहने की इजाजत दी है।
रीम इब्राहिम अल हाशिमी ने कहा कि “दोनों देशों के द्विपक्षीय सम्बन्ध अद्भुत है और हम संबंधों को अधिक मज़बूत करने के लिए कार्य करेंगे।” साथ ही दोनों पक्षों ने विमानों की उड़ानों को बढ़ाने के मसले पर भी चर्चा की थी।
इस बैठक में विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन, प्रधानमंत्री की सैन्य सचिव जनरल मिया मोहम्मद ज़ैनुल आबेदीन और प्रधामंत्री दफ्तर के सचिव सज्जादुल हसन शामिल थे।