बांग्लादेश ने रोहिंग्या शरणार्थियों के देश वापसी के मुद्दे को अगले साल तक के लिए टाल दिया है। बांग्लादेश के सरकारी सूत्रों के मुताबिक रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने का कार्यक्रम अगले सालाम चुनावों के बाद संपन्न होगा। बांग्लादेश के शरणार्थी राहत और देश वापसी योजना के कमिश्नर अबुल कलाम ने कहा कि शरणार्थियों के फायदे के लिए नए क़दम उठाने की जरुरत है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक म्यांमार में सेना के नरसंहार के बाद 720000 रोहिंग्या मुस्लिम भागकर बांग्लादेश आये थे। म्यांमार की सरकार के मुताबिक सेना ने यह अभियान मुस्लिम चरमपंथियों के सेना पर निरंतर हमलों के बाद चलाया था। रोहिंग्या शरणार्थियों ने बताया कि सैनिकों और बौद्ध नागरिकों ने मुस्लिमों के परिवारों की हत्या कर दी, गाँव जलाये गए और महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था।
हालांकि म्यांमार ने आरोपों को खारिज किया था उअर कहा कि यह अभियान आतंकवादियों के खिलाफ चलाया था। बीते अक्टूबर के अंत में म्यांमार और बांग्लादेश की सरकार ने शरणार्थियों के देश लौटने के समझौते को मंज़ूरी दी थी लेकिन रोहिंग्या मुस्लिमों की म्यांमार में सुरक्षा की चिंता के कारण यूएन और शरणार्थियों ने इसका विरोध किया था। इस डील के मुताबिक 2200 शरणार्थियों का पहला बैच 15 नवम्बर को म्यांमार को सौंपा जाना था लेकिन प्रदर्शन के कारण यह कार्यक्रम स्थगित हो गया था।
अबुल कलाम ने कहा कि मेरे ख्याल से कोई भी शरणार्थी म्यांमार वापस जाने को रजामंद नहीं होगा। म्यांमार ने रोहिंग्या शरणार्थियों की देश वापसी के लिए हामी भर दी थी और कहा कि मुस्लिमों को नेशनल वेरिफिकेशन कार्ड दिया जायेगा, जिससे वे नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। अबुल कलम ने कहा कि म्यांमार की सरकार को रोहिंग्या समुदाय की नागरिकता के लिए अपना रुख साफ़ करना चाहिए।
बांग्लादेश में 30 दिसम्बर को आम चुनाव आयोजित होने हैं। अबुल कलम ने बताया कि रोहिंग्या मुस्लिमों के देश वापसी से सम्बंधित निर्णय अब साल 2019 के बाद ही लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश चुनाव के मुहाने पर है, ऐसे में सरकार किसी को वापस म्यांमार भेजने के लिए जबरदस्ती नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि शरणार्थियों के लिए म्यांमार में आवास निर्माण का कार्य संपन्न हो चुका है, उम्मीद है आवास के कारण रोहिंग्या वापस लौटने को तैयार हो जाए।