बांग्लादेश और म्यांमार के मध्य हुए समझौते के तहत रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेज जा रहा है। अमेरिका ने कहा कि बांग्लादेश को सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यांमार में शिविरों में न रहने दिया जाए।
म्यांमार और बांग्लादेश ने पिछले माह भागकर आये रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। म्यांमार आर्मी के नृशंस कांड के बाद रोहिंग्या मुस्लिमो ने म्यांमार छोड़कर अन्य पड़ोसी देशों में शरण ली थी।
इस समझौते के तहत म्यांमार पहले बैच में 2000 रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को वापस लेगा और ऐसा ही दूसरे बैच में होगा। अमेरिका राज्य विभाग ने कहा कि इस देश वापसी की प्रक्रिया के बाबत हम दोनों राष्ट्रों से उच्च स्तर पर बातचीत कर चुके हैं। म्यांमार में वापस जा रहे मुस्लिमों को वहां आवाजाही की आज़ादी होनी चाहिए न कि वह वहां शिविरों में शरण लेने को मजबूर हो जाये।
अमेरिका ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र के बात से भी सहमत है कि यह शरणार्थियों को वापस भेजने का सही समय नहीं है। म्यांमार के हालात अभी उनके लिए सुरक्षित नहीं है।
पिछले वर्ष अगस्त में म्यांमार की आर्मी की दमनकारी नीति के कारण 72000 रोहिंग्या मुस्लिम बेघर हो गए थे। इन शरणार्थियों ने बांग्लादेश में शरण ली थी। सूत्रों के मुताबिक आर्मी के इस नरसंहार में के लोगो की हत्या और बलात्कार किया गया था। अमेरिका ने रोहिंग्या मुस्लिमों की समस्या का समाधान करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की बात कही थी।
अमेरिका ने कहा कि वेरिफिकेशन प्रक्रिया के दौरान रोहिंग्या शरणार्थियों को नागरिकता, आवाजाही की आज़ादी और अल्पसंख्य मुस्लिमों को सुरक्षित पनाह दें।
हाल ही में कनाडा ने रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण देने का ऑफर बांग्लादेश की सरकार को दिया था। हालांकि बांग्लादेश ने इस मसले पर चुप्पी साध रखी है।