म्यांमार की सेना की दमनकारी नीति झेलने के बाद रोहिंग्या मुस्लिमों के समक्ष देश वापसी की चुनौती तैयार हो गयी थी। लेकिन बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी चैन की सांस नहीं ले सकते हैं। ख़बरों के मुताबिक बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों को विस्थापित करने के लिए कैद गृह जैसे शिविरों का निर्माण किया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश में यह निर्माण कार्य गोपनीय तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। अमेरिकी अखबार गार्डियन ने खुलासा किया कि 10 हज़ार रोहिंग्या मुस्लिमों को जबरन जनवरी 2019 तक नए शिविरों में विस्थापित होने के लिए कहा जा रहा है।
म्यांमार में सेना के आक्रमण से बचने के लिए 70 हज़ार रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश में भागकर आये थे और यह शरणार्थी बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार में बने शिविरों में गुजरा कर रहे हैं लेकिन इन्हें अब भासन चार द्वीप में विस्थापित किया जा रहा है। यह बांग्लादेश की मेघना नदी के किनारे बसा द्वीप है, जहां सिर्फ नौकाओं के माध्यम से ही पंहुचा जा सकता है।
ख़बरों के मुताबिक रोहिंग्या शरणार्थी के परिवारों को एक 2.5 मीटर *2.5 मीटर का कमरा मिलेगा जिसमे एक छोटी खिड़की होगी और 25 कमरों के लिए एक बाथरूम होगा। इस द्वीप में नौसेना की सख्त निगरानी है। बांग्लादेश की सरकार और यूएन के अधिकारियों को ही इस विकास कार्य का जायजा लेने की इजाजत है। हालांकि अभी अधिकारिक तौर पर इस द्वीप की कोई तस्वीरे साझा नहीं की गयी है।
भासन चार द्वीप
भासन चार द्वीप मेघना नदी में पिछले दो दशकों से हैं जो मुख्य इलाके से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस द्वीप में विस्थापित करना सिर्फ इसलिए विवादों में नहीं है क्योंकि यह कैदखाने बनाये जा रहे है बल्कि इस द्वीप पर चक्रवात और भ्कंप आते रहते हैं।
मानवाधिकार निगरानी समिति ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा कि इस अलग थलग द्वीप पर रोहिंग्या शरणार्थियों की विस्थापना उनके कैद खाने में तब्दील हो जाएगी। हाल ही में बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार में वापस भेजने का बीड़ा उठाया था। हालांकि रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रदर्शन के कारण यह प्रक्रिया रोक दी गयी थी।