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    शेख हसीना

    अमेरिका के वरिष्ठ सांसद ने म्यांमार के रखाइन राज्य को बांग्लादेश के साथ जोड़ने का प्रस्ताव दिया था और प्रधनामंत्री शेख हसीना ने इस प्रस्ताव की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि “यह क्षेत्र में आग लगाने की कोशिश है और यह कदम स्वीकार नहीं है।”

    13 जून को अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्ताव पेश किया गया था जिसके तहत म्यांमार के रखाइन प्रान्त को बांग्लादेश के तहत लाने की बात कही गयी थी। बौद्ध बहुल म्यांमार से सेना के अत्याचार के कारण लाखों लोग भागकर बांग्लादेश की सरहद पर शरण लेने पंहुचे थे।

    इस प्रस्ताव को सांसद ब्रेडले शेरमन ने प्रस्तावित किया था। इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए हसीना ने कहा कि “एक संप्रभु देश के भीतर समस्याएं उत्पन्न करना उचित नहीं है। जिस मामले की नब्स पर उन्होंने हाथ रखा है वह पहले ही से तल्ख्पूर्ण मामला है।”

    उन्होंने कहा कि “वहां कही भी शान्ति नहीं है लेकिन इसके बावजूद वे वहां चरमपंथी और अशांति में इजाफा कर रहे हैं। हम इस इलाके में शान्ति लाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन वह यहाँ आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं। यह कतई स्वीकार नहीं है।”

    बांग्लादेश म्यांमार की संप्रभुता का सम्मान करता है और इस बाबत शेख हसीना ने कहा कि “उनकी सरकार एक मुल्क के एक इलाके को किसी अन्य देश के साथ जोड़ने की अनुमति कभी नहीं देगी। हमारी अपनी सीमा है और हम इसमें खुश है। किसी दुसरे देश के क्षेत्र को हमारे देश में जोड़ने के ख्याल से हम पूरी तरह असहमत है। हमें इसे कभी नहीं लेंगे।”

    बंगलादेशी नेता ने अमेरिकी सांसद को सुझाव दिया कि म्यांमार से आग्रह करे कि वह अपने नागरिकों को वापस ले और अमेरिका को मानवधिकार के उल्लंघन की जंग की शुरुआत करनी चाहिए। हसीना ने हाल ही में चीन की यात्रा की थी और कहा कि “रोहिंग्या शरणार्थियों के बाबत उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमन्त्री ली केकियांग से बातचीत की थी।”

    यूएन की एक हाल ही की रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार के सुरक्षा कर्मियों ने कथित तौर पर 18000 रोहिंग्या महिलाओं और लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया है और 115000 रोहिंग्या नागरिकों के घरो को आगजनी किया गया और 113000 घरो को तोड़ा गया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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