बांग्लादेश के उत्तर भाग के दिनाजपुर जिले में कंताजव मंदिर स्थित है और यह देश में मध्यकालीन युग की सबसे अद्भुत शिल्पकृतियों में से एक है। यह ऐतिहसिल विरासत बेहद मूल्यवान और सुयोग्य है। साल 1704 में दिनाजपुर के महाराज प्राण नाथ ने असल मंदिर का निर्माण किया था और इस संरचना के निर्माण को पूर्ण होने में 48 वर्षों का समय लगा था।
इस ढाँचे का निर्माण कार्य पूरा साल 1752 में हुआ था और इस मंदिर का पूर्ण कार्य राजा रामनाथ के शासन में हुआ था। इस मंदिर में खुबसूरत डिजाईन है, यह भगवान श्री कृष्ण और उनकी प्रिय राधा को समर्पित किया गया है। इसकी दीवारों को महाभारत और रामायण की चित्रकारी की गयी है।
देवताओं की मूर्तियों को मंदिर के काफी अन्दर सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। भक्तों को इसके दर्शन काफी दूरी करने की अनुमति दी जाती है। हर वर्ष जन्माष्टमी में राधा-कृष्ण की मूर्तियों को नाव के जरिये राजा के महल में दो महीने के लिए दिनाजपुर ले जाया जाता है।
इस मंदिर की देखरेख प्रह्लाद ट्रस्ट और बांग्लादेश का पुरातत्व विभाग करता है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दू व्यापक स्तर पर मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए आता है।