बांग्लादेश के इस्लामाबाद में स्थित दूतावास ने नए कूटनीतिक गतिरोध के कारण पाकिस्तानी नागरिकों को एक हफ्ते से वीजा मुहैया करने की प्रक्रिया को रोक दिया है। बांलादेश साल 1971 में पाकिस्तान से हटकर एक अलग मुल्क बना था और साल 2013 ने इस जंग के कैदियों को उन्होंने फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय सम्बन्ध तनावग्रस्त हो गए थे।
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक गतिरोध तब शुरू हुआ जब ढाका ने बीते वर्ष इस्लामाबाद के उच्चायुक्त को वीजा देने से इंकार कर दिया था। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के के अधिकारी ने कहा कि “आप इसे पाकिस्तानी रवैये के खिलाफ प्रदर्शन के तौर के तौर पर देख सकते हैं।”
ढाका में स्थित विदेशी विभाग ने इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है और न ही पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा मुहैया करने पर पाबन्दी के बाबत कोई सूचना भेजी गयी है। अधिकारी ने कहा कि “वीजा मुहैया करने वाले बांग्लादेशी राजनयिक ने पाकिस्तानी नागरिकों के आवेदन को स्वीकारने से इंकार कर दिया है।”
ढाका में स्थित पाकिस्तान के उच्चायोग ने उसके परिवार के सदस्यों के वीजा आवेदन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। बांग्लादेश के उच्चायुक्त के प्रेस एंड वीजा अफेयर कॉउन्सिलर इक़बाल हुसैन को अपने परिवार से मुलाकात के लिए राह बाधित कर रहा है।
इक़बाल हुसैन ने ढाका ट्रिब्यून से कहा कि “पाकिस्तान के नागरिकों को वीजा मुहैया करना बंद रहेगा और इस्लामाबाद में स्थित बांग्लादेशी उच्चायोग में वीजा काउंटर बीते सोमवार से बंद है। उन्होंने इस बाबत पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की दक्षिणी एशिया विंग को सूचित कर दिया है।”
अधिकारी के मुताबिक, हुसैन पाकिस्तान में अपनी बेटी के साथ रह रहा है जबकि उनकी पत्नी और बेटा ढाका में ही है। पाकिस्तानी उच्चायोग के किसी अधिकारी ने स्पष्ट बयान नहीं दिया है। ढाका ने बंगलादेश में पाकिस्तानी उच्चायुक्त की नियुक्ति को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था और इसके बाद पाकिस्तान वीजा को रिन्यू करने में देरी करता है।
मार्च 2018 में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सक़लैन सयैदह को ढाका में नए उच्चायुक्त के पद पर नियुक्ति के लिए प्रस्तावित किया था लेकिन बांग्लादेश ने दस्तावजों को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। छह महीने बाद बांग्लादेश ने पाकिस्तान को मौखिक तौर पर बताया कि वह सयैदह के नामांकन को स्वीकार नहीं कर सकते हैं और एक अन्य विकल्प देने की मांग की थी लेकिन पाकिस्तान अभी तक किसी अन्य विकल्प लेकर हाजिर नहीं हुआ है।
पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने इमरान खान को इस्लामाबाद में स्थित बांग्लादेशी उच्चयुक्त की अवनति का सुझाव दिया था क्योंकि ढाका में पाकिस्तानी दूतावास कॉन्सुलेर स्तर का अधिकारी संचालित कर रहा है।
साल 1971 की जंग में पाकिस्तानी सैनिको को फांसी देने के आदेश के खिलाफ पाकिस्तान की राष्ट्रीय और प्रांतीय सदनों ने बांग्लादेश के खिलाफ काफी प्रस्तावों को पारित किया था और कई मंत्रालयों ने ढाका के खिलाफ बयान भी जारी किये थे।
साल 2016 में संबंधों में खटास आयी जब बांग्लादेश ने पाकिस्तान पर उनके तीन अधिकारीयों को वापस लेने के लिए दबाव बनाया था इसमें एक महिला राजनयिक भी थी जिसका इस्लामिक चरमपंथियों से नाता था। ढाका ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी उच्चायोग देश में आतंकी गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता मुहैया करता है। बीते चार वर्षों से दोनों देशों के बीच विदेश सचिव स्तरीय वार्ता तक नहीं हुई है।