बांग्लादेश ने पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा मुहैया न करने का निर्णय लिया है और इस कारण इस्लामाबाद और ढाका के बीच सम्बन्ध बिगड़ते जा रहे हैं। बीते वर्ष शेख हसीना की सरकार ने ढाका में पाकिस्तानी उच्चायुक्त की नियुक्ति को मंज़ूरी नहीं दी थी।
पाकिस्तानी उच्चायोग शेख हसीना की सरकार को अस्थिर करने की गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। पाकिस्तान का उच्चायोग बीते वर्ष चुनावी प्रक्रिया में धांधली में में भी संलिप्त था।
बीते सप्ताह बांग्लादेश के इस्लामाबाद में स्थित उच्चायोग ने पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा मुहैया करना बंद कर दिया था और इसके बाद दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक तनाव काफी बढ़ गया था। इस्लामाबाद में बांग्लादेश उच्चायोग ने बयान में कहा कि “बांग्लादेश उच्चायोग में वीजा काउंटर बीते 13 मई से बंद है और पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा जारी करना बंद किया हुआ है।”
डेली स्टार के मुताबिक बांग्लादेशी अधिकारी ने कहा कि “बीते सात महीनो से बांग्लादेशी उच्चायोग में कोई वीजा अधिकारी तैनात नहीं है क्योंकि पाकिस्तानी सरकार बांग्लादेशी राजनयिक को वीजा मुहैया करने में आना-कानी कर रही है। इसके बाबत पाकिस्तान में दक्षिण एशिया के विदेश मंत्रालय को सूचना दे दी गयी है।”
इक़बाल हुसैन का वीजा की समयावधि 30 अप्रैल को खत्म हो जाएगी लेकिन समयसीमा को अभी तक बढ़ाया नहीं गया है। पाकिस्तान के विभाग से लम्बे समय से कोई जवाब नहीं दिया गया है। वीजा कॉउन्सेलर की पत्नी और परिवार पाकिस्तान आने में सक्षम नहीं है क्योंकि पाक सरकार ने बीते छह महीनो से उन्हें वीजा मुहैया नहीं किया है।
मार्च 2018 में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सक़लैन सयैदह को ढाका में नए उच्चायुक्त के पद पर नियुक्ति के लिए प्रस्तावित किया था लेकिन बांग्लादेश ने दस्तावजों को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था।
छह महीने बाद बांग्लादेश ने पाकिस्तान को मौखिक तौर पर बताया कि वह सयैदह के नामांकन को स्वीकार नहीं कर सकते हैं और एक अन्य विकल्प देने की मांग की थी लेकिन पाकिस्तान अभी तक किसी अन्य वैकल्पिक नामांकन को लेकर प्रस्तुत नहीं हुआ है।