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    सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल अस्साद गुरुवार को रूस पहुंचे, उन्होंने रशियन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्वीपक्षीय वार्ता की। मगर आपको बतादे राष्ट्रपति अस्साद की यह रशिया यात्रा पूर्वनियोजित नहीं थी।

    व्लादिमीर पुतिन और बशर अल अस्साद के बीच मुलाकात रशियन शहर सोची स्थित “ब्लैक सी रिसोर्ट” में हुई। इस वार्ता में सीरियन राष्ट्रपति ने रशिया के सैन्य और आर्थिक मदत एवं उसके समर्थन के लिए रशिया का आभार प्रकट किया।

    दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच हुई वार्ता में राष्ट्रपति पुतिन ने शांति वार्ता की दलील देते हुए कहा, सीरिया से विदेशी सेना को हटाने की बात कही।

    व्लादिमीर पुतिन के वक्तव्य से यह नहीं स्पस्ट होता कि वे किस सेना की ओर इशारा कर रहे हैं, वर्तमान स्थिती में सीरिया में इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए अमेरिका, नाटो, ब्रिटेन, फ्रांस, रशिया की सेनाएं हिस्सा लिए हुए हैं।

    अगर वे(पुतिन) ईरान की ओर इशारा कर रहे है, तो रशिया नहीं चाहता की ईरान इस युद्ध में और उलझें। पिछले दिनों इजराइल और ईरान के बीच शाब्दिक युध्द की शुरुवात हो चुकी हैं।

    ईरान और इजराइल के बीच लड़ाई के लिए सीरिया केंद्र बन चूका हैं, और रशिया नहीं चाहता अब किसी भी प्रकार से सीरिया में शांति वार्ता असफल हो।

    9 मई को इसरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू, मोस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर चुके हैं, जिसमे सीरिया में चल रहे युद्ध के विषय में बातचीत किये जाने की आशंका जताई जा रही हैं।

    आपको बतादे, राष्ट्रपति बशार अल-अस्साद की सरकार को रशिया और ईरान का समर्थन प्राप्त हैं, और रशियन वायु सेना राष्ट्रपति अस्साद के निमंत्रण पर सीरिया में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हवाई हमले कर रही हैं। ईरान सरकार की ओर से ईरानियन रेवोलुशनरी गार्ड्स इस ईरान की स्पेशल फ़ोर्स को इस्लामिक स्टेट से लड़ने में सीरियन सेना की मदत के लिए भेजा गया हैं।

    अमेरिका के नेतृत्व में नाटो देशों की सेना सरकार विरोधी गुट को समर्थन दिए हुए हैं, मगर इस्लामिक स्टेट से लड़ने में रशिया और अमेरिका समन्वय से काम कर रहे हैं।

    राष्ट्रपति पुतिन के अनुसार सीरियन सेना ने इस युद्ध में इस्लामिक स्टेट पर प्रतीकात्मक विजय प्राप्त किया हैं, और अब देश में स्थिरता और सीरियन नागरिकों की अवस्था ठीक करने पर सरकार का ध्यान होना चाहिए।

    वाल्दिमीर पुतिन ने कहा अब सीरिया में युद्ध अंतिम स्थिती में हैं, और इस पर विजय प्राप्त करने की क्षमता सीरियन सेना में हैं, इसलिए विदेशी सेनाओं को सीरियन अरब रिपब्लिक(सीरिया का आधिकारिक नाम) से वापिस चले जाना चाहिए।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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