बलोच राजनीतिक और मानव अधिकार कार्यकर्ता ने बलूचिस्तान में बेरोजगारी, असुरक्षा और आर्थिक गिरावट के लिए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना को जिम्मेदार ठहराया है। संयुक्त राष्ट्र में मानव अधिकारों पर आयोजित 42 वें सत्र में चरमपंथ का बढ़ना, लापता, और बुद्धिजीवियों व राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना जैसे मुद्दों को उठाया गया था।
इस समारोह का आयोजन बलोच मानव अधिकार परिषद् ने किया था। जिनेवा में एकत्रित हुए बलोच कार्यकर्ताओ ने यूएन के दफ्तर के बाहर समारोह का आयोजन किया था ताकि पाकिस्तानी विभागों द्वारा अत्याचारों को उजागर किया जा सके और इस मामले अपर वैश्विक समर्थन प्राप्त कर सके।
मंगलवार को मानव अधिकार परिषद् ने बलूचिस्तान में मानवीय संकट पर सम्मेलन को आयोजित किया था। इससे पहले वर्ल्ड सिन्धी कांग्रेस ने एक प्रदर्शन का आयोजन किया था। बलूचिस्तान में लापता करने और हत्या करने के मामले में अंतररष्ट्रीय संस्था और स्थानीय मानव अधिकार संगठन ने पाकिस्तान की आलोचना की है।
कमीशन ऑफ़ इन्क्वारी ऑन इंफोर्स्ड दिसप्पेरेंस के मुताबिक, साल 2014 से अपहरण के 5000 मामले सामने आये हैं। इसमें से अधिकतर मामले लंबित है। स्वतंत्र स्थानीय और अंतररष्ट्रीय मानव अधिकार संघठनो ने आंकड़ो को ज्यादा बताया है।
बलूचिस्तान से करीब 20000 लोगो के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज हुई है, जिसमे से 2500 लोगो की मृत्यु गोली लगने से हुई है, जो प्रताड़ना का संकेत हैं। प्रधानमन्त्री के पद पर चयनित होने से पूर्व इमरान खान ने कबूल किया कि लापता और हत्याओ के मामले में पाकिस्तान के ख़ुफ़िया विभाग शामिल है और इसमें नाकाम होने पर इस्तीफा देने का संकल्प लिया था।