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    ग्वादर बंदरगाह में सीपीईसी परियोजना

    चीन और पाकिस्तान ने चीन-पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के निर्माण के लिए समझौता किया था जो चीन की महत्वकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का एक महत्वपूर्व भाग है। हालांकि चीन के राष्ट्रपति के सपने को सम्पूर्ण होने में अभी कई अड़चने शेष है। ख़बरों के मुताबिक पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सीपीईसी परियोजना में कोई विस्तार होता नहीं दिख रहा है। इस सूचना का खुलासा सीपीईसी सेल की स्थापना बलूचिस्तान प्रांत में विश्व बैंक की सहायता से की गयी थी।

    डॉन के मुताबिक ग्वादर बंदरगाह के नजदीकी इलाकों में ही विकास का आंकलन किया गया है। सीपीईसी सेल में उपस्थित सूत्र ने बताया कि सभी परियोजनाए पश्चिमी मार्ग से जुड़ती है, जिसमे कोई प्रगति होती नज़र नहीं आई है, पिछले चार सालों में इस परियोजना में एक अरब डॉलर से कम रकम को ही खर्च किया गया है।

    पाकिस्तान की पिछली सरकार ने दो प्रोजेक्ट क्वेटा मास्स ट्रांजिट और पीऐट फीडर टू क्वेटा वाटर प्रोजेक्ट पर बातचीत की थी और इसके आलावा नई सरकार भी इन प्रोजेक्टों के बाबत चर्चा करेगी। सूत्रों के मुताबिक इन दोनों प्रोजेक्ट के कर्ज और देनदारी बलूचिस्तान की सरकार पर होगा और इसकी कीमत बेहद ज्यादा होने की सम्भावना है।

    क्वेटा मास्स प्रोजेक्ट की कुल कीमत 9120 डॉलर है तो यह प्रांतीय सरकार के कुल विकास प्रोजेक्ट की कीमत से ज्यादा है। इस कीमत में जमीन की कीमत, विस्थापन, पुनर्वास, आय कर और कस्टम ड्यूटी का आंकलन नहीं किया गया है। कैबिनेट ने जानकारी दी कि ग्वादर के बाहर पश्चिमी मार्ग से जुड़ी सड़कों में तरक्की होती नज़र नहीं आ रही है।

    इस विकास कार्य के लिए संघात्मक सरकार ने रकम मुहैया करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है लेकिन इस राशि को अभी जारी नहीं किया गया है। खबर के मुताबिक सड़क के हिस्से होस्हब-बसिमा-सोराब को सरकार ने पश्चिमी मार्ग का हिस्सा बताया है हालांकि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत साल 2006 में हो गयी थी।

    कैबनेट के सदस्यों ने सहमती जताई कि आगामी सप्ताह में बीजिंग में आयोजित जॉइंट कोऑपरेशन कमिटी में बलूचिस्तान की सरकार अपने प्रांत साहसिक और दृढ निर्णय लेंगी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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