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    ग्वादर में पर्ल होटल

    पाकिस्तान में चीनी ढांचागत परियोजनाएं अलगाववादी चरमपंथ के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बन गयी है। चरमपंथी अब नए तरीके आजमा रहे हैं, मसलन फियादीन हमला ताकि तनाव केकारण बीजिंग पीछे हट जाए। बीते सप्ताह एक बंदूकधारी ने ग्वादर में स्थित एक आलिशान पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल में हमला किया था। यह हमले चीन की सीपीईसी परियोजना से जुड़ा हुआ है। होटल हमले में पांच हमलावरों सहित एक सैनिक की मौत हो गयी थी।

    बलूचिस्तान में संसाधन की लूट

    चीन-पाक आर्थिक गलियारा शिनजियांग प्रान्त को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगा। यह चीन को अरब सागर तक पंहुच मुहैया करेगा। पाकिस्तानी अधिकारीयों ने निरंतर कहा है कि पुराना मछुवारो का गाँव अब अगला दुबई होगा। इसमें सबसे बड़ी समस्या बलूचिस्तान है जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा और गरीब प्रान्त है।

    सीपीईसी परियोजना बलूचिस्तान से होकर गुजरेगी और यह क्षेत्र अलगाववादियों, चरमपंथियों और इस्लामिक से पटा पड़ा है। शनिवार को होटल में हुए हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने ली थी। बीएलए के प्रवक्ता ने कहा कि  उनका निशाना होटल में आये चीनी और पाकिस्तानी निवेशक थे।

    उन्होंने कहा कि “हमने चीन को बलूचिस्तान में शोषित परियोजना रोकने और बलोच नरसंहार में पाकिस्तान सेना की मदद न करने की चेतावनी दी थी। हम और ज्यादा हमलो से इसका प्रतिकार करेंगे।”

    अलगाववादियों के समक्ष कोई दूसरा विकल्प नहीं

    वांशिगटन के विल्सन सेंटर के विश्लेषक माइकल कुगल्मैन ने कहा कि “बीएलए ने पाकिस्तान में चीनी पर पहले भी हमला किया था। हमला करने की क्षमता और इच्छा के नए स्वरूप को देखा जा सकता है। बीते वर्ष कराची में स्थित चीनी दूरवास पर भी हमले की जिम्मेदारी बीएलए ने ली थी।”

    उन्होंने कहा कि “बलूच चरमपंथियों के लिए यह परियोजना एक बड़ी परेशानी है। सीपीईसी उस सबका प्रतिनिधित्व करती है जिससे चरमपंथियों को नफरत है। बलूचिस्तान में चरमपंथी लंबे अरसे से स्वायत्ता और संसाधनों की निष्पक्षता से साझेदारी की मांग कर रहे हैं।”

    जानकारों के मुताबिक, पाकिस्तान में चीनी निवेश राष्ट्रवाद अभियान को एक नयी ऊर्जा प्रदान करेगा, एक अंतराल से  संसाधनों के बंटवारे पर क्रोध को हवा देगा।

    राष्ट्रवादी राजनीतिज्ञ जान मोहम्मद बुलेदी ने विद्रोहियों के नए रवैये को सोच और कल्पना से परे करार दिया था। यह समूह जिहाद से अधिक सामाजिक सिद्धांतो पर आंदोलन करता था। उन्होंने कहा कि “जब स्थानीय आवाम विरोध करती थी तो उनका अपहरण, शोषण किया जाता था। सरकार ने बलूच युवाओं के समक्ष खुद को उड़ाने के आलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।”

    उन्होंने कहा कि “चीनियों के खिलाफ क्रोध वास्तविक और ताकतवर है लेकिन अलगाववादियों का असल दुश्मन पाकिस्तानी हुकूमत हो रहेगी।” अमेरिका में निर्वासित एक बलूच नेता ने कहा कि “चीनी अधिकारीयों ने निर्वासित बलूच अधिकारीयों की घर वापसी एक बदले मदद की मांग की है। मेरी जानकारी के मुताबिक, वे अभी भी अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप में निर्वासित राष्ट्रवादी बलूच नेताओं से सम्पर्क में हैं।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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