अभी हाल ही में पहलाज निहलानी को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के चीफ के पद से बर्खास्त कर दिया गया। निहलानी वही है जो अपने संस्कारो के चलते, साफ़ से साफ़ फिल्म में भी कट, डिस्क्लेमर लगाने के लिए मशहूर है। ऐसी शायद कोई फिल्म नहीं होगी जो निहलानी की कैंची का शिकार नहीं हुयी हो। जब कल देर रात में, निहलानी की बर्खास्त होने की खबरों सुर्ख़ियों में आयी, तब पूर्व सेंसर चीफ ने बड़े ही सहजता से इसको लिया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का कोई अफ़सोस नहीं है। वो खुद ही कई महीनों से इस पद को छोड़ने में लगे हुए थे।
निहलानी ने इस बात का भी खुलासा किया कि जब से वो सेंसर बोर्ड का हिस्सा बने है जब से कुछ अंदरूनी जन उनके विरुद्ध काम भी कर रहे है, इन में से कुछ सेंसर बोर्ड से भी जुड़े हुए है। उन्होंने इन लोगों का नाम नहीं लिया। पर, यह बताया कि ये लोग दिवाली से पहले ही दिवाली मना रहे है। उनसे जब पूछा गया कि क्या उन्हें इस पद से हटाया जाने का कोई दुख है? तब उन्होंने बेचिछक कहा कि उनको बिलकुल भी अफ़सोस नहीं है। वह अचानक से सरकार द्वारा इस पद के लिए नियुक्त हुए थे और उन्होंने ख़ुशी से अपने कार्यभाल को संभाला भी, जिसके लिए सरकार ने उन्हें सक्षम समझा। अब जब सरकार ने उन्हें इस पद से बर्खास्त कर दिया है, इसका उनको भी कोई अफ़सोस नहीं है।
निहलानी ने यह भी बताया कि सेंसर बोर्ड में उनके आने से पहले काफी भर्ष्टाचार था। उन्होंने मध्यस्त और दलालों से सेंसर को आज़ाद करने में पूरा प्रयास किया है। यह ऐसे लोग है जिसने सेंसर प्रमाणन प्रक्रिया का लाभ निजी फाईदो के लिए उठाया। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि जो भी उनसे यह पद लेता है, उसका वह तह दिल से स्वागत करते है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि कोई उनके शुरू किये गए काम को तहस नेस न करे।
उनके अनुसार उन्होंने सेंसर प्रमाणन प्रक्रिया में रफ़्तार लायी है। साथ में, उन्हें ‘संस्कारी’ शब्द से जुड़ने में अत्यंत गर्व है। निहलानी ने चाहे अपने इस पद को छोड़ दिया हो, पर जल्द ही वो दर्शकों का अपनी फिल्मों से मनोरंजन करते नज़र आएंगे।
उम्मीद करते है, सीबीएफसी के अध्यक्ष , प्रसून जोशी अपने कार्यभाल को बेहतरीन तरीके से निभाए। और निहलानी के साथ साथ, सेंसर बोर्ड का एक दौर भी समाप्त हो गया है। उम्मीद यह भी करते है कि अब आने वाला दौर हम सबके लिए सकारात्मक हो।